कभी कर के तो देखो

कभी कर के तो देखो

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कविता

कभी कस कर तो देखो,
छिपकली की नाक में नकेल।
कभी खेल कर तो देखो,
शेर के साथ एक खेल।

कभी साँप से बांध कर देखो,
भालू के बाल।
कभी हाथी के दाँत से सीकर देखो,
अम्मा की साड़ी का फॉल।

कभी दौड़ तो लगाओ,
चीता के संग।
कभी माँग कर तो देखो,
तितली से उसका रंग।

कभी हाथी के सूँड़ से,
नहाकर तो देखो।
कभी सागर का पानी,
बहाकर तो देखो।

कभी टूटते तारे से,
कहो अपनी अभिलाषा।
कभी बोलकर तो देखो,
चिड़ियों की भाषा।

नाम- विदिशा चंद्रा
कक्षा- 7
स्कूल- दिल्ली पब्लिक स्कूल, पटना (DPS पटना)
उम्र- 13 वर्ष

admin

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