हनुमान जी ऐसे सेवक कि उनके ऋणी परमात्मा : रामखेलावन

हनुमान जी ऐसे सेवक कि उनके ऋणी परमात्मा : रामखेलावन

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 संग्रामपुर (मुंगेर) संवाददाता।

दास प्रथा में सर्वोत्तम भक्त भगवान के श्री चरणों का अभिलाषी होता हैं। श्री हनुमान जी की प्रथम दृष्टि भगवान के चरणों पर पड़ी तो हनुमान जी ऐसे सेवक बनें की परमात्मा उनके ऋणी बन गए। उपरोक्त विचार प्रखंड के नवगाई स्थित पुरानी काली मंदिर के प्रांगण में आयोजित कार्तिक महात्म्य के चौथे दिन के कथा में क्षेत्रीय राम कथावाचक संत जी बाबा रामखेलाबन जी ने अपने मुखारविंद से कथा में उपस्थित कथा श्रवण कर रहे श्रद्धालुओं को प्रवचन के माध्यम से बताया। भक्ति और भक्त एवं भगवन्त पर विस्तार पूर्वक बताते हुए उन्होनें कहा कि श्री मनु जी महाराज की प्रथम दृष्टि प्रभु के मुख पर पड़ी तो उनके यहाँ कामनानुरूप परमात्मा पुत्र के रूप में अवतार लिए।  पिता की नज़र पुत्र के मुख को निहारता हैं। साथ ही उन्होनें बताया कि श्री विभीषण जी पहली नज़र परमात्मा के भुजाओं पर पड़ी तो प्रभु उनको सखा रूप में मिलें एवं राज्य की प्राप्ति हुई। अतः परमात्मा से जीव जो भाव जैसा बनाता है परमात्मा भी जीव को उसी रूप में प्राप्त होते है। वही लगातार चौथे दिनों से हो रहे कार्तिक महात्म्य के कथा में पूरे प्रखंड क्षेत्र के श्रद्धालुओं की तांता लगा हुआ हैं। साथ ही इस बह रहे भक्ति के बयार में लोग अपने आप को झूमने से रोक नहीं पा रहे हैं।

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