बुरे समय की आंधियां !

कविता●●●तेज प्रभाकर का ढले, जब आती है शाम !रहा सिकन्दर का कहाँ, सदा एक सा नाम !!●●●उगते सूरज को करे, दुनिया सदा सलाम !नया कलेंडर साल का, लगता जैसे राम !!●●●तिनका-तिनका उड़ चले, छप्पर का अभिमान !बुरे समय की आंधियां, तोड़े सभी गुमान !!●●●तिथियां बदले पल बदले, बदलेंगे सब ढंग !खो जायेगा एक दिन, सौरभ
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हिन्दी दिवस पर चित्तरंजन में किसलय ने किया द्विभाषी आयोजन चितरंजन(प. बंगाल)। स्थानीय अमलादहि स्थित जनरव सांस्कृतिक क्लब के कार्यालय में सोमवार की देर शाम हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। इस आयोजन में हिन्दी व बंगला जगत के साहित्यकारों ने अहिन्दी भाषी क्षेत्र में हिन्दी का विकास कैसे विषय पर अपने सारगर्भित विचार रखे।विषय
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चारो ओर शौर दे रहा है सुनाई , आज हिंदी दिवस है भाई । आज हिंदी दिवस है भाई ।। परंतु क्या हिंदी के लिए एक दिन ही काफी है ? यह तो इसके साथ सरासर ना इंसाफी है । हिंदी से ही हमारी संस्कृति विकास करती है, यह भाईचारे और सौहार्द्र में विस्वास करती
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