जागो वैश्य जागो -2

जागो वैश्य जागो -2

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विभुरंजन

आज माँल में क्या नहीं मिल रहा है ?
छड़, सीमेंट और बालु छोड़ कर सभी सामग्री उपलब्ध है भाई। अब ये तमाम सामग्री के थोक बिक्रेता पर ध्यान दें- लगभग सभी समानों का होल सेल/वितरक/CNF “वैश्य” के हाथों में होता था, जिसमें मारवाड़ी समाज सबसे आगे था। बांकी हाँल सेल का काम अन्य वैश्य के हाथों में था लेकिन आज आधे से अधिक के इस क्षेत्र पर सवर्णों व 2 % पर अन्य जातियों का कब्जा हो गया है।
आप छोटे स्तर पर हाँल सेलर बनकर रह गये हैं।

अब खुदरा बिक्रेता की बात करें तो आप स्थानीय स्तर पर तो 95% हैं लेकिन इस क्षेत्र पर ग्रामीण क्षेत्र में गैर वैश्य कब्जा करते जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में खुदरा व्यवसाय को माँल इतना प्रभावित कर दिया है कि वैश्य दूकानदार झक मारने को विवश हैं।
कपड़ों का व्यवसाय करने वाले व्यवसायी माँल के कारण परेशान हैं।
यहां क्या नहीं मिलता है- दाल, चावल, चूड़ा, मूढी आदि-आदि। यानिकी घरेलू उपयोग की सारी सामग्री एक क्षत के नीचे उपलब्ध है। ये माँल किसके हैं ? ये अधिसंख्य सवर्णों के और थोड़ा सा उधोगपतियों के।
हम आप भी शान से इस बड़े दूकान में खरीदारी करने पहुंचते हैं।
अब आप सोच कर देखें दूकानों का इस प्रकार किया गया सामूहिकीकरण से कितने व्यवसायी बेरोजगार हुए हैं ?
मैं अपना आंकड़ा बताता हूं कि “इस एक माँल ने लगभग 200 व्यवसायीयों का रोजगार हड़प लिया है”।
यदि यह नहीं होता तो हमारे बंधुओं के सामने जो बेरोजगारी मुंह बाये खड़ी है यह नहीं होता।
हमारे दूकानों में गरीब वैश्य या फिर अन्य जातियों के लोगों को नौकरी मिलती जो माँल उपलब्ध करा रही है लेकिन हम खुद बेरोजगारी से जूझ रहे हैं तो दूसरों को क्या रोजगार उपलब्ध करा पायेंगे ? आज हमारे लोग उसके यहां 8 से 10 हजार रूपये की नौकरी के लिए फीफिया रहे हैं।
एकता इसलिए भी जरूरी है कि हम अपने पेशा को बचाने के लिए संघर्ष कर सकें।
एक बात और कि जाति में बांटकर अपना टिकट सुरक्षित करने, विधायक/सांसद बनने की मंशा पालने के आड़ में अपनी ही जाति को कमजोड़ कर रहे हैं।
अब आप बंटिये लेकिन ध्यान रहे कि बंटकर टिकट सुरक्षित करने के बाद भी हम एक रहें, ताकि पार्टी के रणनीतिकारों को मेरे मजबूती का एहसास हो सके और हमारी भागीदारी सुरक्षित हो सके एवं चुनकर जाने के बाद अपने जाति(वैश्य) की एकता, रक्षा और सुरक्षा के साथ ही वैश्य के मूल्य की रक्षा के लिए सतर्क व सजग रहेंगे।

सत्ता में अपनी भागीदारी सुरक्षित करना चहते हैं तो एकसूत्र में बंधना ही होगा।

अपनी रक्षा/सुरक्षा का हित चाहते हैं तो एक होना ही होगा।

अपने व्यवसाय को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो एकजुटता दिखाना ही होगा।

नौकरी में भागीदारी चाहते हैं तो एकता की शक्ति को पहचाना ही होगा।

पछताने से बचना चाहते हैं तो अपने शक्ति का प्रदर्शन करना ही होगा।

भविष्य में बच्चों के कोपभाजन का शिकार नहीं होना चाहते हैं तो समय रहते एक मंच पर खड़ा होने का वक्त आ गया है।

प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी के शब्दों में “संकट अवसर लेकर आता है”।
इनके हरेक शब्द अनमोल होते हैं पता नहीं ये किस विश्वविद्यालय से इतना गहन विचार, अनुभव और शब्द का पढाई किये थे।

इन्होंने जो भी कहा अपने पूरे भारतवासी के लिए कहा और असर भी सामने है।

अब उन्हीं के भाषा को अपने अंदाज में लें और बस, बस एक हो जांय। बस एक हो जाय।
वैश्य पर भी चाइनीज की ही तरह संकट आ खड़ा हुआ है। इसलिए संकट को अवसर में बदल डालिये।
charchaakhas.com

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