पटना हाईकोर्ट ने JNU छात्र संघ नेता चंद्रशेखर हत्याकांड में तीन अभियुक्तों को मिली उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा। 1997 में सभा के दौरान सिवान में हुई थी हत्या।
पटना। पटना हाईकोर्ट ने जेएनयू के छात्र नेता चंद्रशेखर प्रसाद हत्याकांड के किसी आरोपियों को राहत नहीं दी। कोर्ट ने एक साथ 4 सजायाफ्ताओं की अपील खारिज कर दी। अब इन आरोपियों को उम्रकैद की सजा काटनी ही होगी। सीबीआई की विशेष अदालत ने जिन चार अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, उनमें ध्रुव कुमार जायसवाल, इलियास वारिस, शेख मुन्ना और रुस्तम खान शामिल हैं। एक अन्य अभियुक्त रियाजुल मियां की जेल में ही मृत्यु हो गई थी। हालांकि इस हत्याकांड में चन्द्रशेखर के साथ शिव नारायण यादव एवं फल विक्रेता भुटाली मियां भी मारे गये थे।
न्यायाधीश आदित्य कुमार त्रिवेदी एवं विनोद कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने चर्चित जेएनयू छात्र नेता चंद्रशेखर व अन्य की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा पाये चारों अभियुक्तों की सजा बहाल रखी। इसी साल 26 फरवरी को सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। इनकी अपील पर खंडपीठ ने पहले ही सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया। छात्र संघ नेता चंद्रशेखर हत्याकांड में सिवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को भी अभियुक्त बनाया था, लेकिन सीबीआई ने उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर नहीं किया था।
गौरतलब है कि यह घटना 31 मार्च, 1997 की है। तब चंद्रशेखर सिवान शहर में एक जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे । इस मामले की जांच पहले स्थानीय पुलिस कर रही थी, बाद में जांच का कार्य सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई के वकील विपिन कुमार सिन्हा ने अभियुक्तों को किसी प्रकार से राहत देने का विरोध किया था, जबकि बचाव पक्ष से सुप्रीम कोर्ट के वकील सुरेंद्र सिंह, अखिलेश प्रसाद सिंह एवं अजय कुमार ठाकुर ने सजा को गलत ठहराने का प्रयास किया।
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