प्रख्यात कलाविद् कपिला वात्स्यायन का 91 साल की उम्र में दिल्ली में निधन

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कपिला वात्स्यायनhttp://charchaakhas.com

अंगिका प्रेमियों ने भी किया शोक व्यक्त

डॉ. नीरज कुमार सिन्हा

भागलपुर। पद्म विभूषण से सम्मानित देश की प्रख्यात कलाविद् एवं राज्यसभा की पूर्व मनोनीत सदस्य कपिला वात्स्यायन का बुधवार को दिल्ली में गुलमोहर एंक्लेव स्थित उनके घर में निधन हो गया। वह 91 वर्ष की थीं।
कपिला वात्स्यायन के निधन से कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
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वह हिंदी के यशस्वी दिवंगत साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की पत्नी थीं और साठ के दशक में अपने पति से तलाक के बाद वह एकाकी जीवन व्यतीत कर रही थीं। इस खबर से भागलपुर के साहित्यकार भी शोकाकुल हो गये। उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए प्रो. डॉ. मधुसूदन झा ने कहा कि श्रीमती वात्स्यायन एक महान विदुषी थीं और विलक्षण प्रतिभा की धनी थीं। उन्होंने सहित्य, कला और संस्कृति के संवर्धन तथा विकास के लिए ऐतिहासिक कार्य किया। वह अपने आप में एक संस्था थीं और कला से जुड़ी संस्थाओं का निर्माण किया तथा कलाकारों के बीच संवाद कायम करने में एक सेतु का काम किया। http://charchaakhas.com
25 दिसंबर 1928 को जन्मीं कपिला वात्स्यायन राष्ट्रीय आंदोलन की प्रसिद्ध लेखिका सत्यवती मलिक की पुत्री थीं। वह संगीत नृत्य और कला की महान विदुषी थीं। उनकी शिक्षा दीक्षा दिल्ली बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में हुई थी।
संगीत नाटक अकादमी फेलो रह चुकीं कपिला प्रख्यात नर्तक शम्भू महाराज और प्रख्यात इतिहासकार वासुदेव शरण अग्रवाल की शिष्या भी थीं। वे 2006 में राज्यसभा के लिए मनोनीत हुयी थीं और लाभ के पद के विवाद के कारण उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता त्याग दी थी। इसके बाद वह दोबारा फिर राज्यसभा की सदस्य मनोनीत की गई थीं। श्रीमती वात्स्यायन राष्ट्रीय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सचिव थी और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी भी थीं। उन्होंने भारतीय नाट्यशास्त्र और भारतीय पारंपरिक कला पर गंभीर और विद्वतापूर्ण पुस्तकें भी लिखी थीं। वह देश में भारतीय कला शास्त्र की आधिकारिक विद्वान मानी जाती थीं।
कपिला के भाई केशव मलिक जाने-माने अंग्रेजी के कवि और कला समीक्षक थे। श्रीमती वात्स्यायन साठ के दशक में शिक्षा विभाग में सचिव पद पर भी कार्यरत थीं।
अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच ने के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. मधुसूदन झा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर शोक संवेदना व्यक्त की।
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उन्होंने प्रसिद्ध साहित्यकार एवं कलाकार डॉ. कपिला वात्स्यायन के स्वर्गारोहण पर शोक प्रकट कर कहा कि उनके निधन से साहित्य और कला को अपूरणीय क्षति हुई है। इसके राष्ट्रीय महामंत्री हीरा प्रसाद “हरेंद्र” ने कहा कि वे मूलतः साहित्यकार और कलाकार थीं। कुलगीतकार आमोद कुमार मिश्र ने उन्हें कला-मर्मज्ञ कहा वहीं डॉ. अमरेंद्र ने उन्हें भारतीय सभ्यता संस्कृति की प्रतिमूर्ति कहा एवं गीतकार राजकुमार ने उन्हें बहुमुखी प्रतिभा संपन्न आदर्श नारी बताते हुए अपनी-अपनी संवेदनाए व्यक्त की। डॉ. गौतम कुमार यादव ने कहा कि उनका व्यक्तित्व सरल – सहज था, भारत सरकार ने उन्हें पदमविभुषण से भी सम्मानित किया था, प्रो. भगवती झा ने उन्हें कला विदुषी बताते हुए कही कि वे राज्य सभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर महिलाओं को प्रेरणा दी है। डॉ. नीरज कुमार सिन्हा ने कहा कि साहित्य और कला के क्षेत्र में उनका स्थान अतुलनीय है। प्रीतम कुमार ने कहा की दिल्ली में इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर उनके अप्रतिम योगदान का जीता जागता उदाहरण है।
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शोक प्रकट करने वालों में श्रावण कुमार, डॉ. मंजीत सिंह ‘किनवार’,http://charchaakhas.com गणेश पाठक अनिल सिंह इत्यादि शामिल हैं।

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