Charchaa a Khas
आन-बान सब शान है, और हमारा गर्व। हिंदी से ही पर्व है, हिंदी सौरभ सर्व।। हिंदी हृदय गान है, मृदु गुणों की खान। आखर-आखर प्रेम है, शब्द- शब्द है ज्ञान।। बिंदिया भारत भाल की, हिंदी एक पहचान। सैर कराती विश्व की, बने किताबी यान।। प्रीत प्रेम की भूमि है, हिंदी निज अभिमान। मिला कहाँ किसको
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कविता कभी कस कर तो देखो, छिपकली की नाक में नकेल। कभी खेल कर तो देखो, शेर के साथ एक खेल। कभी साँप से बांध कर देखो, भालू के बाल। कभी हाथी के दाँत से सीकर देखो, अम्मा की साड़ी का फॉल। कभी दौड़ तो लगाओ, चीता के संग। कभी माँग कर तो देखो, तितली
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