सरकारी उदासीनता के खिलाफ शाररिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक हुए गोलबंद

-काला बिल्ला लगा सरकार के विरोध में किया हल्ला बोल प्रदर्शन -वेतमान में विसंगतियों को लेकर शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक ने काला बिल्ला लगाकर जताया अपना विरोध कुंदन राज ब्यूरो प्रभारी।भागलपुर। एक तरफ जहां पूरा देश विश्व योग दिवस को लेकर तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कर स्वस्थ जीवन, स्वस्थ भारत मिशन अभियान के साथ
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रेलवे लाइन पार करने के दौरान हुआ हादसा, बाइक छोड़ युवक ने बचाई जान घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची आरपीएफ टीम, जांच में जुटी कुंदन राज ब्यूरो प्रभारी। भागलपुर। नाथनगर स्टेशन के समीप रूह कंपाने वाली घटना गुरुवार को सामने आई। मिली जानकारी के अनुसार नाथनगर स्टेशन के समीप एक बाइक अचानक
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-संवैधानिक मान्यता दिलाने को लेकर एक जुट हुए लोग -अंगिका की उपेक्षा अब हम नहीं सहेंगे: धरनार्थी -अंगिका भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करें, कुंदन राज ब्यूरो प्रभारी।भागलपुर। अंगजनपद की ऐतिहासिक धरोहर मातृभाषा अंगिका परिचय का मोहताज नहीं है। अंगिका भाषा को उपेक्षा के अलावा कुछ नहीं मिला है। जिस तरह देश में अन्य
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(साहित्य कोना – कविता) डॉ. सत्यवान सौरभ जिसके दम पर है खड़ा, उनका आज मकान। उसी नींव का कर रहे, वही रोज अवसान।। अटकी जब हड्डी गले, खूब किया सत्कार। निकल गया मतलब कहा, चलता हूं अब यार।। भाई – भाई के हुआ, हो जब मन में पाप। कलियुग में होगा भला, कैसे भरत मिलाप।।
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माफ़िया गैंग का है वर्चस्व ? (इस बार की साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार की अंतिम घोषणा पूर्णतः जाली और संशयाधीन प्रतीत हो रही है! इससे बड़ी साहित्यिक दुर्घटना और क्या हो सकती है? इन मानदंडों पर चलते हुए हम कहाँ जा रहे हैं? समाज को क्या सीख दे रहे हैं? क्या इन्हीं अनैतिक मूल्यों के
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(पशु-सेवा को समर्पण के साथ-साथ माैजु डॉक्टर लेखन क्षेत्र में आगे बढ़ते गए। पिछले दो दशक से मौजु डॉक्टर अपने लिखे गीतों-कविताओं के साथ-साथ हमारे प्राचीन/वरिष्ठ लोक कवियों की रचनाओं को समाज के सामने लाकर समाज को हरियाणावी संस्कृति से जोड़ने का अतुल्य प्रयास कर रहे हैं। पेशे से पशु चिकित्सा एवं विकास सहायक मनोज़
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डॉ. सत्यवान सौरभ (कवि देश के ख्यातिप्राप्त स्तंभकार और लेखक हैं।) साहित्य कोना (कविता) जिनपे धन-तन-मन, समय, सदा किया कुर्बान। लोग वही अब कह रहे, तेरा क्या अहसान।। कत्ल हुए सब कायदे, लहुलुहान सम्मान। सौरभ छोटे पकड़ते, बड़ों की गिरेबान।। रिश्तों का माधुर्य खो, अकड़े जब संवाद। आंगन की खुशियां मरे, होते रोज विवाद।। कैसे
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(एक ही केंद्र के 6 छात्रों को 720/720 अंक कैसे मिले? परिणाम 14 जून के बजाय 4 जून (चुनाव परिणाम दिवस) को क्यों घोषित किए गए? कुछ गड़बड़ है, लाखों नीट उम्मीदवार इसका उत्तर चाहते हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अगर कुछ गलत है तो यह अपराध है कि एनटीए लाखों छात्रों के करियर
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(चुनाव के मैदान में प्रतिस्पर्धा लौटेगी, संसदीय परंपराओं का बढ़ेगा सम्मान) प्रियंका सौरभ (स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार) लोकसभा चुनाव में भी पूरे देश में यह देखने को मिला कि चुनाव विपक्षी पार्टियां नहीं, बल्कि जनता लड़ रही थी। जनता ने ही भाजपा की एकतरफा राजनीति पर विराम लगा दिया है और विपक्ष को इतनी ताकत
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(थप्पड़ उतना मारक नहीं है जितना कि इस थप्पड़ को लेकर खुश होने वाले बुद्धिजीवियों की हंसी। इस तरह की विचारधारा को सिर उठाने के पहले कुचल देने की जरूरत है। देश का हर नेता किसी न किसी के बारे में आए दिन जहर उगलता रहता है। अगर हर नेता की बात पर सुरक्षा बलों
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