Charchaa a Khas
साहित्य कोना (कविता) जीवन में मुझको मिले, ऐसे लोग विचित्र। काँधे मेरे जो चढ़े, खींचे खुद के चित्र ।। जैसी जिसकी सोच है, वैसी उसकी रीत। कहीं चाँद में दाग तो, कहीं चाँद से प्रीत।। ये कैसी नादानियाँ, ये कैसी है भूल। आज काटकर मूल को, चाहें कल हम फूल।। पद-पैसों की दौड़ में, कर
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