Charchaa a Khas
कविता कभी कस कर तो देखो, छिपकली की नाक में नकेल। कभी खेल कर तो देखो, शेर के साथ एक खेल। कभी साँप से बांध कर देखो, भालू के बाल। कभी हाथी के दाँत से सीकर देखो, अम्मा की साड़ी का फॉल। कभी दौड़ तो लगाओ, चीता के संग। कभी माँग कर तो देखो, तितली
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