Charchaa a Khas
(एक ही केंद्र के 6 छात्रों को 720/720 अंक कैसे मिले? परिणाम 14 जून के बजाय 4 जून (चुनाव परिणाम दिवस) को क्यों घोषित किए गए? कुछ गड़बड़ है, लाखों नीट उम्मीदवार इसका उत्तर चाहते हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अगर कुछ गलत है तो यह अपराध है कि एनटीए लाखों छात्रों के करियर
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(चुनाव के मैदान में प्रतिस्पर्धा लौटेगी, संसदीय परंपराओं का बढ़ेगा सम्मान) प्रियंका सौरभ (स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार) लोकसभा चुनाव में भी पूरे देश में यह देखने को मिला कि चुनाव विपक्षी पार्टियां नहीं, बल्कि जनता लड़ रही थी। जनता ने ही भाजपा की एकतरफा राजनीति पर विराम लगा दिया है और विपक्ष को इतनी ताकत
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(थप्पड़ उतना मारक नहीं है जितना कि इस थप्पड़ को लेकर खुश होने वाले बुद्धिजीवियों की हंसी। इस तरह की विचारधारा को सिर उठाने के पहले कुचल देने की जरूरत है। देश का हर नेता किसी न किसी के बारे में आए दिन जहर उगलता रहता है। अगर हर नेता की बात पर सुरक्षा बलों
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