आस्तीन के सांप

(साहित्य कोना – कविता) डॉ. सत्यवान सौरभ जिसके दम पर है खड़ा, उनका आज मकान। उसी नींव का कर रहे, वही रोज अवसान।। अटकी जब हड्डी गले, खूब किया सत्कार। निकल गया मतलब कहा, चलता हूं अब यार।। भाई – भाई के हुआ, हो जब मन में पाप। कलियुग में होगा भला, कैसे भरत मिलाप।।
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