Charchaa a Khas
मनोज कुमार
7020601873
बांका (बिहार)। चंदन नदी (लक्ष्मीपुर डैम के बाद): लक्ष्मीपुर के पास से ही चंदन बौंसी और कटोरिया की सीमा रेखा बनाते हुए कई छोटे-छोटे बरसाती जल स्रोतों को ग्रहण कर बसमत्त गांव के पास पश्चिम मुड़कर तुरंत उत्तराधिमुख हो जाती है, यहां दाहिने भाग में बसमत्ता की पहाड़ी और बाएं भाग में रामपुर गांव है इसके आगे चंदन जमदाहा पहुंचने के पहले दो अन्य जल स्रोतों को अपने में मिला लेती है ,जमदहा गांव कटोरिया प्रखंड के पूर्वोत्तर कोण में स्थित अंतिम गांव है ,यहां चंदन लगभग 700 फीट चौड़ी थी।जमदाहा काफी प्रसिद्ध स्थल है। बांका आंचल में प्रवेश करते ही चंदन में बाएं भाग से कुंदर नदी मिलती है जो ढकवारी और दरभाषण नदी के संगम से बनती है। कुंदर का कोई उद्गम स्रोत नहीं है, ढकवारी चांदन प्रखंड की धौनी ग्राम की पहाड़ी से निकलती है जो प्रखंड कार्यालय से लगभग 6- 7 किलोमीटर पूर्वोत्तर कोण में है।
ढकवारी स्तोत्र धौनी गांव से पूर्वोत्तर दिशा में बीहड़ पहाड़ी से होकर गुजरती है। इस क्रम में यह मोडी सिमर पहाड़ी के कई एक जल स्रोतों को ग्रहण करती है, बुकानन डाकवारी नदी को तालजोर कहता है। डर्भासन नदी का उद्गम चंदन बाजार के पश्चिम उत्तरकोण में स्थित बधुआ पहाड़ी के पूर्वी भाग में है। भलुआ गांव के पास डरर्भासन के दाहिने भाग में कई स्रोत मिलते हैं। डभाषण जब कटोरिया से आगे बढ़ती है तो उसमें खजुरिया नमक नदी मिल जाती है, यह खजुरिया नदी कटोरिया के करदा गांव की पहाड़ी से उत्तर दिशा में निकलती है। सॉरी और बूढ़ीघाट के पास दर्भासन अग्नि कोण की ओर मुड़ती है इससे धूलबंगा और दामोदर गांव की पहाड़ी से निकलने वाली दोऔर स्रोत मिल जाती है। कलझड़ गांव के पास आकर यह डाकवारी नदी से मिल जाता है दरबारी और दरर्भासन की संयुक्त धारा को ही कुंदर नदी कहते हैं।चंदन और कुंदर नदी के संगम के कारण जो बाएं भाग के गांव बसे हुए हैं उसका नाम दो मोहान है इस संगम के बाद चंदन नदी उत्तर दिशा की ओर बढ़ती है जो बीडमहुआ नामक गांव के पास दो धाराओं में बढ़कर अंगूठी नुमा टापू बनती है, यहां चानन के दोनों किनारे पहाड़ी भूमि है। खवासपुर गांव के उत्तर चंदन फिर एक टापू बनती है जिसके बाएं भाग में मेड डीहा और दक्षिण( पूर्वी) भाग में कोदई नामक गांव है।इसी मेडडीहा गांव के पास चंदन पर कंझिया नामक डाढ है, जो बांका से 6 मील दक्षिण है ,यहां से आगे बढ़ने पर चानन के पश्चिमी भाग में लकड़ीकोला गांव है। यहां चंदन पहाड़ी क्षेत्र से बिल्कुल बाहर निकल आती है और इसी जगह एकोरिया गांव के पास चंदन पर दूसरा बांध है जिसे कंझिया डैम कहा जाता है। यह जलाशय 800 फीट लंबा था इसका निर्माण 1957 में किया गया है।इससे 11 मील लंबी नहर निकाली गई है शाखा नहरों की लंबाई 40 मिल है। इकोरिया से आगे चंदन की चौड़ाई लगभग 1600 फिट हो जाती है। यहां से आगे बढ़ने पर यह बांका आंचल और बाराहाट आंचल की सीमा बनाती हुई बांका शहर की पूर्वी किनारे से गुजराती है। इसपर बांका और भागलपुर मार्ग का कंक्रीट का बना पुल है। पहले इस पर लोहे का पुल था, जो 1995 की बाढ़ में संपूर्ण रूप से उखड़ गया। इस पुल के बाद उत्तर बढ़ाने पर चंदन के पूर्वी भाग से कटारिया नदी की धारा निकलती है इस नदी से काफी दिनों तक बाराहाट और रजौन प्रखंड का बहुत बड़ा भाग संचित होता था यहां तक की इस धारा से भागलपुर जिला का गोराडीह प्रखंड के कुछ भाग की भी सिंचाई की जाती थी (इसके निर्माण पर हम बाद में चर्चा करेंगे) पुल के बाद से चानन उत्तर पश्चिमकोण की ओर मुड़ती है जो बांका शहर को उत्तर दिशा में थोड़ा घेरती है। मालदउन गांव के पास ओढ़नी नदी चानन से संगम करती है। संगम के पश्चिम दक्षिण दिशा में ओरई (ओढ़नी) नदी से डकरी नमक नदी मिलती है यहां बांका अमरपुर मार्ग का कंक्रीट पुल है। ओढ़नी नदी कटोरिया के पूर्वी भाग की पहाड़ी से निकलकर पूर्वोत्तरकोण में चलकर बांका अंचल के दक्षिणी भाग में स्थित जवारी गांव के पास उत्तराभूमुख होकर प्रवेश करती है इसके बाद उरई की धारा पश्चिम उत्तर कोण में मुड़कर कटोरिया बांका मार्ग को पार करती है। इस मार्ग को पार करने से पहले बाएं भाग में पहाड़ी डीह के पास एक जल स्रोत मिलती है, यह जल स्रोत वाघमारी नामक पहाड़ी ग्राम से निकलकर पूर्वोत्तर कोण में बहता हुआ पहाड़ीडीह आती है। उरई का दूसरा स्त्रोत खरा की कई एक जल स्रोत है।खरा का प्रथम मुख्य दो स्त्रोत कटोरिया के उत्तर पहाड़ी से समानांतर चलकर सतवारी नामक गांव में मिलने के पहले एक और जल स्रोत को अपने में मिला लेती है।बांका अंचल के गंगटी गांव के पास उरई नदी से खरा जल स्रोत मिल जाती है। ककवारा पहाड़ी स्त्रोत जिसमें 12 जल स्रोत सम्मिलित होते हैं इस स्रोत की लंबाई 6 मिल है, यह उरई नदी से दाहिने भाग में मिलती है इसके बाद उरई नदी उत्तर दिशा में मुड़कर मदलन गांव के पास चंदन से मिलती है। चानन नदी उरई से संगम करने के बाद सीधे उत्तर दिशा में बढ़ती है इसके पश्चिम में अमरपुर और पूर्व में बांका बाराहाट का क्षेत्र पड़ता है आगे बढ़ने पर चंदन के पश्चिमी भाग में जेस्ट गौर लोग इसे जेठऔर की पहाड़ी कहते हैं। चंदन के पश्चिमी तट पर भव्य शिव मंदिर है। चानन के पूर्वी किनारे भद्रार भटकुंडी मंझौनी आदि गांव है। क्रमश: