गज़लकार दिलीप के निधन से साहित्यकार व ग्रामीण हुए शोकाकुल

बरियारपुर (मुंगेर) से नरेश आनंद की रिपोर्ट। गज़लकार दिलीप कुमार सिंह दीपक के निधन से लक्ष्मीपुर (लोहची) गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। श्री सिंह बिहार राज्य के राजा कर्ण की नगरी मुंगेर जिला के लक्ष्मीपुर (लोहची) गांव के निवासी हैं।आज अहले सुबह 62 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी लीला समाप्त की।दो वर्ष पूर्व
Complete Reading

डाॅ. विभुरंजन की कलम से मनोविज्ञान के अग्रेजी में टर्म है : “Narcissist” जिसका हिन्दी मतलब होता है “आत्ममुग्ध”।सीधे शब्दों में समझें तो वैसे व्यक्ति को आत्ममुग्धता का शिकार कह सकते हैं जिसमें आत्म-महत्व की अतिशय भावना, दूसरों के प्रति सहानुभूति का अभाव, अत्यधिक प्रशंसा की चाहत व मन में यह विश्वास कि वे अद्वितीय
Complete Reading

✍️संजय कुमार सुमन20वीं सदी के 70 के दशक से अपनी कथा यात्रा शुरू करने वाले चंद्रकिशोर जायसवाल का जन्म 15 फरवरी 1940 को बिहार के मधेपुरा जिले के बिहारीगंज में हुआ। विगत 6 दशकों से अनवरत रचना धर्मिता के प्रति काफी सक्रिय रहे हैं। वे देश के जाने-माने साहित्यकार माने जाते हैं। इस दौरान न
Complete Reading

साहित्य कोना (कविता) डॉ. सत्यवान सौरभ आज तिरंगा शान है, आन, बान, सम्मान। रखने ऊँचा यूँ इसे, हुए बहुत बलिदान।। नहीं तिरंगा झुक सके, नित करना संधान। इसकी रक्षा के लिए, करना है बलिदान।। देश प्रेम वो प्रेम है, खींचे अपनी ओर। उड़े तिरंगा बीच नभ, उठती खूब हिलोर।। शान तिरंगा की रहे, दिल में
Complete Reading

साहित्य कोना (कविता) डॉ. सत्यवान सौरभ सावन में है तीज का, एक अलग उल्लास। प्रेम रंग में भीग कर, कहती जीवन खास। जैसे सावन में सदा, होती खूब बहार। ऐसे ही हर घर सदा, मने तीज त्योहार। हाथों में मेंहदी रची, महक रहा है प्यार। चूड़ी, पायल, करधनी, गोरी के श्रृंगार। उत्सव, पर्व, समारोह है,
Complete Reading

कोई सपना बुनो जिंदगी के लिए, मत जियो सिर्फ अपनी खुशी के लिए : हंस दुनिया को सन्देश देकर उड़ गया हंस अकेला। डॉ. सत्यवान सौरभ हिसार के लाजपत नगर में रह रहे बुजुर्ग राज्य कवि उदयभानु हंस से इंटरव्यू तो एक बहाना था, असल में मुलाकात का सौभाग्य मुझे वहां खींचकर ले गया। 89
Complete Reading

(साहित्य कोना – कविता) डॉ. सत्यवान सौरभ ऐसे ढोंगी संत से, करिए क्या फरियाद। जो पूजन के नाम पर, भड़काए उन्माद।। सौरभ बाबा बन गए, धूर्त विधर्मी लोग। भोली जनता छल गई, ढोंगी करते भोग।। पूजन को साधन बना, रोज करें व्यापार। ढोंगी बाबा भक्त बन, बना रहे लाचार।। कुकर्मों से हैं रंगे, रोज –
Complete Reading

साहित्य कोना (कविता) डॉ. सत्यवान सौरभ बारिश को अब आने दो। तपती गर्मी जाने दो।। ये बादल भी कुछ कह रहे। इनको मन की गाने दो।। कटते हुए पेड़ बचाओ। शुद्ध हवा कुछ आने दो।। पंछी क्या कहते है सुन लो। उनको पंख फैलाने दो।। फोटो में ही लगते पौधे। सच को बाहर लाने दो।।
Complete Reading

(साहित्य कोना – कविता) डॉ. सत्यवान सौरभ जिसके दम पर है खड़ा, उनका आज मकान। उसी नींव का कर रहे, वही रोज अवसान।। अटकी जब हड्डी गले, खूब किया सत्कार। निकल गया मतलब कहा, चलता हूं अब यार।। भाई – भाई के हुआ, हो जब मन में पाप। कलियुग में होगा भला, कैसे भरत मिलाप।।
Complete Reading

Create Account



Log In Your Account