Charchaa a Khas
जीवन का चरमसुख अब फॉलोअर्स पाने और कमेंट आने पर निर्भर हो गया है। फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर नग्न अवस्था में तस्वीरें शेयर कर आज लड़कियां लाइक कमेंट पाकर खुद को अनुगृहित करती दिखाई देती है मानो जीवन की सबसे अहम और जरूरी ऊंचाई को उन्होंने पा लिया हो। इस नग्नता को हम आधुनिकता के
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डिफाल्टर की सूची में TMBU भी शामिल पटना डेस्क।पटना। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उन विश्वविद्यालयों की लिस्ट जारी की है, जिन्होंने अभी तक लोकपाल नियुक्त नहीं किया है। इस डिफॉल्टर लिस्ट में देशभर के 157 विश्वविद्यालय शामिल हैं, जिसमें 108 सरकारी, 47 प्राइवेट और 2 डीम्ड यूनिवर्सिटीज हैं। बिहार के भी 5 विश्वविद्यालय इस
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रजिस्ट्रेशन कराने को ले आपस में भीड़ जाती हैं महिलाएं सुबह से ही अस्पताल में हो जाती है भीड़ मरीजों के बैठने को नहीं है पर्याप्त व्यवस्था अस्पताल में रोज दिन का यही है मामला : अधीक्षक (कुंदन राज ब्यूरो प्रभारी)। भागलपुर। इन दिनों राज्य के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के बेहतर इलाज की व्यवस्था
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खौफ़ मे जी रही है पत्रकारिता, ब्रिटिश हुकूमत के बाद अब फ़िर से नौकरशाह हैं प्रदेश के असली शासक अयोध्या के वरिष्ठ पत्रकार आलोक उपाध्याय की कलम से देश में उत्तर प्रदेश का वृहद महत्व है। मौजूदा राजनीति ही नहीं सदियों से यह भारतीय संस्कृति का केंद्र रहा है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान मुगलिया सल्तनत
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माफ़िया गैंग का है वर्चस्व ? (इस बार की साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार की अंतिम घोषणा पूर्णतः जाली और संशयाधीन प्रतीत हो रही है! इससे बड़ी साहित्यिक दुर्घटना और क्या हो सकती है? इन मानदंडों पर चलते हुए हम कहाँ जा रहे हैं? समाज को क्या सीख दे रहे हैं? क्या इन्हीं अनैतिक मूल्यों के
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(पशु-सेवा को समर्पण के साथ-साथ माैजु डॉक्टर लेखन क्षेत्र में आगे बढ़ते गए। पिछले दो दशक से मौजु डॉक्टर अपने लिखे गीतों-कविताओं के साथ-साथ हमारे प्राचीन/वरिष्ठ लोक कवियों की रचनाओं को समाज के सामने लाकर समाज को हरियाणावी संस्कृति से जोड़ने का अतुल्य प्रयास कर रहे हैं। पेशे से पशु चिकित्सा एवं विकास सहायक मनोज़
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डॉ. सत्यवान सौरभ (कवि देश के ख्यातिप्राप्त स्तंभकार और लेखक हैं।) साहित्य कोना (कविता) जिनपे धन-तन-मन, समय, सदा किया कुर्बान। लोग वही अब कह रहे, तेरा क्या अहसान।। कत्ल हुए सब कायदे, लहुलुहान सम्मान। सौरभ छोटे पकड़ते, बड़ों की गिरेबान।। रिश्तों का माधुर्य खो, अकड़े जब संवाद। आंगन की खुशियां मरे, होते रोज विवाद।। कैसे
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(एक ही केंद्र के 6 छात्रों को 720/720 अंक कैसे मिले? परिणाम 14 जून के बजाय 4 जून (चुनाव परिणाम दिवस) को क्यों घोषित किए गए? कुछ गड़बड़ है, लाखों नीट उम्मीदवार इसका उत्तर चाहते हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अगर कुछ गलत है तो यह अपराध है कि एनटीए लाखों छात्रों के करियर
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(चुनाव के मैदान में प्रतिस्पर्धा लौटेगी, संसदीय परंपराओं का बढ़ेगा सम्मान) प्रियंका सौरभ (स्वतंत्र पत्रकार व स्तंभकार) लोकसभा चुनाव में भी पूरे देश में यह देखने को मिला कि चुनाव विपक्षी पार्टियां नहीं, बल्कि जनता लड़ रही थी। जनता ने ही भाजपा की एकतरफा राजनीति पर विराम लगा दिया है और विपक्ष को इतनी ताकत
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(थप्पड़ उतना मारक नहीं है जितना कि इस थप्पड़ को लेकर खुश होने वाले बुद्धिजीवियों की हंसी। इस तरह की विचारधारा को सिर उठाने के पहले कुचल देने की जरूरत है। देश का हर नेता किसी न किसी के बारे में आए दिन जहर उगलता रहता है। अगर हर नेता की बात पर सुरक्षा बलों
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