अस्पताल की कुव्यवस्था पर सरकार का नहीं है ध्यान : मरीज

अस्पताल की कुव्यवस्था पर सरकार का नहीं है ध्यान : मरीज

Spread the love

रजिस्ट्रेशन कराने को ले आपस में भीड़ जाती हैं महिलाएं

सुबह से ही अस्पताल में हो जाती है भीड़

मरीजों के बैठने को नहीं है पर्याप्त व्यवस्था

अस्पताल में रोज दिन का यही है मामला : अधीक्षक

(कुंदन राज ब्यूरो प्रभारी)।

भागलपुर। इन दिनों राज्य के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के बेहतर इलाज की व्यवस्था मुहैया कराने को लेकर कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन व उनके आलाधिकारियों पर कोई प्रभाव पड़ता नही दिख रहा है! यहां तक कि देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लिये जाने के बाद भी अस्पताल के व्यवस्था में कोई बदलाव होता नही दिख रहा है। स्थिति यह है कि सरकारी अस्पताल में मरीजों के बेहतर इलाज की कल्पना मात्र एक सपना बनकर रह गया है। वहीं दूसरी तरफ पूर्वी बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल मायागंज (भागलपुर) है, जहां राज्य के आसपास के तकरीबन 28 जिलों से आए मरीजों का इलाज किये जाने के दाबे किये जाते रहे हैं। लेकिन इस अस्पताल में मरीजों के इलाज की व्यवस्था को लेकर आए दिन कुछ न कुछ घटनाएं घटित होते दिख जाती है। वहीं अपनी लाचारी और कुव्यवस्थाओं का दंश झेल रहे मायागंज अस्पताल अक्सर समाचारों की सुर्खियों में रहता है। इस तरह की अव्यवस्था की वजह से मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस अव्यवस्था ने अस्पताल का पोल खोलकर रख दिया है। इस वजह से मरीज को अपनी बीमारी के इलाज के लिए कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

अस्पताल प्रांगण में आने वाले अन्य जिलों के मरीजों को सबसे पहले अस्पताल के ओपीडी विभाग में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर अपनी पर्ची कटाने के लिए काफी भीड़ का सामना करना पड़ता है। मरीज व उनके परिजन सुबह से ही लंबी दूरी तय कर अस्पताल आ जाते हैं।

दूरदराज से आए बीमारी से पीड़ित मरीज को अपने संबंधित बीमारी के चिकित्सकों को दिखाने हेतू अस्पताल के भीतरी भाग में बने रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची लेने के लिए जद्दोजहद करते देखे जा सकते हैं, भीड़ इतनी बढ़ जाती हैं कि इस भीड़ के आड़ में आसपास के चोर गिरोह भीड़ का फायदा उठाकर मरीजों को चूना लगा देते हैं। यहां पर चोर गिरोह का अक्सर जमावड़ा रहता है और अपने हाथ साफ कर नो दो ग्यारह हो जाते हैं। आलम यह है कि सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती हैं। अस्पताल में मरीजों की बढ़ती भीड़ को कम करने के लिए न कोई ठोस पहल की गई हैं और न ही अस्पताल के किसी भाग में बैठने तक की व्यवस्था की गई है। अस्पताल के परिसर में बैठने के लिए जो व्यवस्था है वह बहुत ही कम है। लोग खड़े रहकर बड़ी मुश्किल से पर्ची कटाते हैं। अस्पताल में अव्यवस्था का आलम यह है कि इस भीषण गर्मी में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। वहीं शीतल जल मुहैया कराने के नाम पर अस्पताल परिसर के भीतर बने दो फिल्टर प्लांट पर पैसे की उगाही एक मात्र जरिया बन गया है। वही अस्पताल प्रांगण में सुलभ शौचालय निर्माण की आड़ में इन मरीजों से मोटी रकम वसूली का धंधा भी धड़ल्ले से चल रहा है। आलम यह है कि सरकार के इतने बड़े चर्चित अस्पताल की कुव्यवस्था से लोग मुक्ति पाना चाहते हैं। यह देखकर लोग जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन करा कर निकलने की चाह में महिलाएं व मरीजों के बीच आपस में ही उलझनें और दोनों के बीच हाथा पाई तक की घटना अक़्सर होते रहती है। इसी कड़ी में जब मीडिया प्रतिनिधि की टीम मौके पहुंची तो वहां की हालत देख अचंभित रह गये। दरअसल रजिस्ट्रेशन काउंटर पर पर्ची कटाने के लिए पुलिस जिला नवगछिया की रहनेवाली एक महिला और दूसरी भागलपुर शहरी क्षेत्र की महिला रजिस्ट्रेशन पर्ची कटाने को लेकर काउंटर पर पहुंची थी तभी कतार में लगने के लिए दोनों के बीच हाथापाई शुरू हो गई। इस दौरान दोनों के बीच भद्दी-भद्दी गाली गलौज हुई। शोरगुल होता देख मायागंज के सुरक्षाकर्मी वहां पर पहुंचे और दोनों को समझा बुझाकर मामला शांत कराया, जबकि लाइन में लगी बबीता देवी का कहना है कि वह पहले ही कतार में थी जबकि बगल वाली महिला उसे पीछे कर आगे जाना चाह रही थी, इसी बात को लेकर दोनों के बीच कहा सुनी हो गई। वही अस्पताल प्रबंधक के जिम्मेदार पद पर लगे लोगों द्वारा अस्पताल में इलाज व्यवस्था के दाबे की पोल खोल कर रख दी है। मरीजों और उसके सहायकों का कहना है कि अस्पताल प्रांगण में किसी तरह की व्यवस्था कानूनी तौर पर प्रत्यक्ष रूप में नहीं दिख रहा है, हजारों मरीज अपने बीमारियों के इलाज को मानसिक व शाररिक व आर्थिक रूप में काफी परेशान होते दिखाई देते हैं। वहीं अस्पताल अधीक्षक राकेश कुमार ने टेलीफोन पर बताया कि अस्पताल परिसर के भीतर मरीजों के बीच इस तरह की घटना होना आम बात हो गई है, जबकि इस समस्या को मद्देनजर इसकी पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। पूर्वी बिहार के इस सबसे बड़े अस्पताल की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने की कड़ी में राजनीतिक दल के लोगों द्वारा सरकार को कई बार स्मार पत्र भेजा गया है लेकिन अस्पताल की कुव्यवस्था जस की तस बनी हुई है। अब देखने वाली बात है कि इस अस्पताल को सुदृढ़ बनाने और स्मार्ट सिटी के स्मार्ट अस्पताल की कड़ी में कबतक लोग देख पाते है।

admin

Related Posts

leave a comment

Create Account



Log In Your Account