लुटती नारी द्वार पर

साहित्य कोनानारी मूरत प्यार की, ममता का भंडार।सेवा को सुख मानती, बांटे ख़ूब दुलार॥●●●अपना सब कुछ त्याग के, हरती नारी पीर।फिर क्यों आँखों में भरा, आज उसी के नीर॥●●●रोज कहीं पर लुट रही, अस्मत है बेहाल।खूब मना नारी दिवस, गुजर गया फिर साल॥●●●थानों में जब रेप हो, लूट रहे दरबार।तब ‘सौरभ’ नारी दिवस, लगता है
Complete Reading

Create Account



Log In Your Account