Charchaa a Khas
पारो शैवलिनी, चित्तरंजन,पश्चिम बर्धमान (पश्चिम बंगाल) 713331 तुम मुझे संरक्षण दो, मैं तुम्हें हरियाली दूंगा काटो और काटो और-और काटो क्योंकि कटना ही तो नियति है हमारी अगर कटेंगे नहीं तो बंटे कैसे कभी छत, कभी चौखट, कभी खिड़की कभी खंभों के रूप में तो कभी अस्तित्व प्रहरी दरबाजे के रूप में तुम झूठला नहीं
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