डीजिटल युग में ग्राम स्वराज की अवधारणा विषयक संगोष्ठी आयोजित

डीजिटल युग में ग्राम स्वराज की अवधारणा विषयक संगोष्ठी आयोजित

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भागलपुर ब्यूरो (कुन्दन राज)।
भागलपुर। स्नातकोत्तर गांधी विचार विभाग में हाईफोस इनोवेटिव फोरम और गांधियन भागलपुर विश्वविध्यालय के संयुक्त तत्वाधान में विभागाध्यक्ष डॉ. अमित रंजन सिंह की अध्यक्षता में “डीजिटल युग में ग्राम स्वराज की अवधारणा: स्मार्ट विलेज मॉडल” विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई।

इस अवसर पर हाईफोस इनोवेटिव फोरम ने ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल जानकारी पहुंचाने हेतु कार्यक्रम के लिए घोषणा भी की। सर्वप्रथम डॉ उमेश प्रसाद नीरज सहायक अध्यापक गांधी विचार विभाग ने विषय प्रवेश कराते हुए गांव में डिजिटल जानकारियां या डिजिटल का उपयोग सामान्य लोगों तक पहुंच सके इसकी आज जरूरत है इस पर अपनी बातें रखी, उन्होंने कोरोना काल का उदाहरण देते हुए कहा गांव की सभ्यता और संस्कृति तथा गांव की व्यवस्था को आज भी शहरीकरण से उत्पन्न व्याधियों और खामियों से बचाया जा सकता है यह साबित हो गया। इसलिए गांव को समृद्ध करना और गांव तक सही-सही जानकारियां पहुंच सके ताकि सरकारी गैर सरकारी लाभ सही ढंग से ग्रामीण उठा सके और कृषि कार्य में तकनीक का सही प्रयोग हो सके यह आवश्यक है। हाईफोस इनोवेटिव फोरम के संस्थापक अरविंद जी ने तकनीक की आवश्यकता और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल तकनीक प्रत्येक लोगों तक पहुंच सके इसके लिए है हाईफोस इन्नोवेटिव फॉर्म द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम की चर्चा की। उन्होंने इस फार्म के उद्देश्य और लक्ष्य पर व्यापकता से प्रकाश डाला।
वरिष्ठ समाजकर्मी मनोज मीता ने बताया कि सभ्यता के विकास के गति में विज्ञान और तकनीक एक अनिवार्य अंग बन गया है, विज्ञान और तकनीक आम लोगों के लिए लाभदायक है लेकिन यह तकनीक आम लोगों तक पहुंच रहा है या नहीं इसकी चिंता जरूरी हैं, क्योंकि कॉर्पोरेट के हाथ में आज तकनीक के कारण आम लोगों का नियंत्रण आ गया है। इस तकनीक का प्रयोग अपने लाभ के लिए करते हैं।
कला केंद्र के ललन जी ने गांधी का उदाहरण देते हुए भारत ऐसे देश में तकनीक का किस प्रकार प्रयोग किया जा सकता है चरखा के माध्यम से गांधी ने दुनिया को समझाया।

गांधी विचार के पूर्व अध्यक्ष महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि यद्यपि वर्तमान पीढ़ी आज ज्यादा डिजिटल तकनीक का प्रयोग करता है लेकिन डिजिटल के पूर्णता प्रयोग और लाभ से अभी भी वंचित हैं। समान लोगों तक किसान और मजदूरों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय स्तर पर ज्ञान को संजोकर इनोवेशन आइडिया विकसित करना आवश्यक है क्योंकि लोग विज्ञान के साथ वर्तमान तकनीक को किस प्रकार संयोजित किया जाए इस पर काम करने की आज ज्यादा जरूरत है। विभागाध्यक्ष डॉ. अमित रंजन सिंह ने कहा 20-25 वर्ष पहले गांव की जो स्थिति थी उसका वर्णन करते हुए बतलाया कि आज विज्ञान के विकास ने गांव के गांव को बहुत सुविधा मुहैया कराई है, आज गांव के लोग भी इससे लाभान्वित हो रहे हैं।
अंत में हाईफोस इनोवेटिव फोरम आईआईटी हैदराबाद से डेवलपमेंट स्टडी की डिग्री प्राप्त अरविंद जी जो हाईफोस इनोवेटिव फोरम के संस्थापक भी हैं ने कहा कि हाईफोस इनोवेटिव फोरम ने बिहार में अपने अधिकारिक शुरुआत को चिन्हित किया, जो की बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में ‘डिजिटल विभाजन’ को पाटने के लिए समर्पित एक पहल है।

सेमिनार का मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल साक्षरता, सूचना की कमी और डिजिटल सशक्तिकरण एवं ग्रामीण क्षेत्र में AI का इम्पैक्ट जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर था। कार्यकर्म में शामिल वक्ताओं ने ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल विश्वास स्थापित करने और लोगों को डिजिटल सश्क्तिकरन की ज़रूरत पर अपनी राय व्यक्त की।

चर्चा में भागलपुर यूनिवर्सिटी के गांधियन थॉट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर उमेश ने कहा की महात्मा गाँधी के ग्राम स्वराज के दृष्टिकोण को तकनीक के साथ मिला कर ग्रामीण क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाकर विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है। वहीं सेमिनार में आये परिधि भागलपुर के संस्थापक उदय ने कहा की आज के डिजिटल युग में तकनीक की जानकारी और सही वक्त पर सही सूचनाओं को लोगों तक पहुंचा करके ही शक्तिशाली बनाया जा सकता है।

कार्यक्रम में हाईफोस इनोवेटिव फोरम के संस्थापक और IIT हैदराबाद के एलुमनाई अरविन्द ने हाईफोस के वर्तमान और भविष्य की रूप रेखा को विस्तृत रूप से रखते हुए कहा की हमारा उद्देश्य बिहार के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों विशेषकर किसान, यवा, और महिला को उनकी ज़रूरत के अनुसार डिजिटल स्किल, और सूचना पहुंचाते हुए उनको तकनीक की शक्तियों से अवेयर करवाना है। हम विभिन्न डिजिटल माध्यमों से, लोगों से जुड़ कर उनतक ज़रूरी जानकारी और स्किल्स लोगों को देंगे ताकि वो विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी सेवाओं का लाभ आसानी से एक्सेस कर सके। डिजिटल युग में हर गावं में बेहतर सूचना संचार सिस्टम को स्थापित करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा की हम AI -लाभ और हानि के बारे में भी ग्रामीण लोगों को जागरूक करेंगे ताकि उन्हें वो खुद के भविष्य हेतु तैयार कर सके। बिहार में इंक्लूसिव डिजिटल पालिसी हो इसके लिए भी हम विभिन्न क्षेत्र के एक्सपर्ट को एक मंच पर लाने और पालिसी एडवोकेसी करने के लिए पहल करेंगे। डिजिटल सशक्तिकरण से लोगों के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और लोग आर्थिक और सामजिक रूप से सशक्त बनेंगे एवं उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगा। इस तरह गाँधी के ग्राम स्वराज की कल्पना को पूरा किया जा सकेगा।

कार्यकरम में प्रो., शोधकर्ता, यूनिवर्सिटी के छात्र, विकास के लिए काम करने वाले समाजसेवी, और तकनिकी एक्सपर्ट की भागीदारी देखी गई। प्रतिभागियों से इस बात पर जिवंत चर्चा की गई कि सही जानकारी और डिजिटल साक्षरता ग्रामीण समस्याओं, जैसे कि गलत सूचना, डिजिटल धोखाधड़ी और बुनियादी ढांचे की कमी, को हल कर सकता है।
इस अवसर पर विभाग के शिक्षक श्री मनोज कुमार दास, शोधार्थी नरेन नवनीत, नवनीत कुमार अलका कुमारी, राजीव कुमार, छात्र-छात्राएं सुमित कुमार, अलका कुमारी, रियाज फातिमा, गौतम कुमार, अमरेश कुमार, अमित कुमार, सरस्वती कुमारी, आराध्या सिंह, रीना कुमारी, माधुरी कुमारी, अजीत कुमार, सुनील कुमार, विभागीय कर्मचारी उमेश कुमार, रामचंद्र रविदास उपस्थित थे।

कार्यकरम में प्रो., शोधकर्ता, यूनिवर्सिटी के छात्र, विकास के लिए काम करने वाले समाजसेवी, और तकनिकी एक्सपर्ट की भागीदारी देखी गई। प्रतिभागियों से इस बात पर जिवंत चर्चा की गई कि सही जानकारी और डिजिटल साक्षरता ग्रामीण समस्याओं, जैसे कि गलत सूचना, डिजिटल धोखाधड़ी और बुनियादी ढांचे की कमी, को हल कर सकता है।
इस अवसर पर विभाग के शिक्षक श्री मनोज कुमार दास, शोधार्थी नरेन नवनीत, नवनीत कुमार अलका कुमारी, राजीव कुमार, छात्र-छात्राएं सुमित कुमार, अलका कुमारी, रियाज फातिमा, गौतम कुमार, अमरेश कुमार, अमित कुमार, सरस्वती कुमारी, आराध्या सिंह, रीना कुमारी, माधुरी कुमारी, अजीत कुमार, सुनील कुमार, विभागीय कर्मचारी उमेश कुमार, रामचंद्र रविदास उपस्थित थे।

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