Charchaa a Khas
प्रियंका सौरभ किसी देश में तख्तापलट की संभावना आमतौर पर तब बनती है जब देश के तमाम लोग सरकार की नीतियों के खिलाफ होते हैं या फिर सरकारें तानाशाह बन जाती हैं यानी सरकारों को जनता के हितों से कोई मतलब नहीं रह जाता, वो अपने मन का ही करती हैं, चाहे उससे जनता का
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मामला: नियम विरूद्ध गंगा के माध्यम स्टोन बोल्डर भेजने का डीसी को सौंपनी है फ्रेश जवाबी हलफनामा साहिबगंज। चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सह पर्यावरण प्रेमी सैयद अरशद नसर द्वारा झारखण्ड राज्य के एकमात्र जिलें साहिबगंज से गुजरने वाली गंगा नदी को प्रदुषित होने से बचाने व जलीय जीव जंतू व संरक्षित डॉल्फिन को बचाने व संवर्धन
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सत्ता का गौरव नहीं, नहीं दिखावा शान। जनसेवा से है बनी, जेपी की पहचान।। पहली बार कृषि मंत्री बनते ही अपने पहले ही भाषण में जयप्रकाश दलाल ने एक आम सभा में कहा था कि आपने जो ताकत दी है; उसे सवाया करके लौटाऊंगा और चंडीगढ़ से सारे अधिकारी थारे खातिर बुलाया करूंगा, थारी कोई
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अलग-अलग विधाओं में दस पुस्तकें लिख चुके हांसी के राजपुरा के बलजीत सिंह; पेशे से किसान होने के साथ ही मन और आत्मा से एक सच्चे साहित्यकार भी हैं। हिसार के जाने-माने साहित्यकार डॉ० रामनिवास ‘मानव’ को अपना गुरुवर मानते है और हिसार के छाजूराम मेमोरियल जाट कॉलेज में उनसे हिंदी पढ़े हैं। काॅलेज के
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कोई सपना बुनो जिंदगी के लिए, मत जियो सिर्फ अपनी खुशी के लिए : हंस दुनिया को सन्देश देकर उड़ गया हंस अकेला। डॉ. सत्यवान सौरभ हिसार के लाजपत नगर में रह रहे बुजुर्ग राज्य कवि उदयभानु हंस से इंटरव्यू तो एक बहाना था, असल में मुलाकात का सौभाग्य मुझे वहां खींचकर ले गया। 89
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दिल्ली हादसा पर विशेष आखिर हत्यारी कोचिंग की जरूरत क्या है? कोचिंग तो किसी व्यक्ति का निजी होगा। यह गर्वनमेंट का तो लगता नहीं। तो इसके लिए कोई घटना इतने बड़े देश में कहीं किसी का भी लापरवाही से हो, सिस्टम कैसे दोषी हो गया? सिस्टम इस घटना का जांच करवायेगा और जो भी दोषी
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तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय भागलपुर के विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर गांधी विचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विजय कुमार हुए सेवानिवृत्त। डॉ. अमित को दिया प्रभार। डॉ. विभुरंजन भागलपुर। विश्वविद्यालय गांधी विचार विभाग में प्रो. (डॉ.) विजय कुमार, गांधी विचार विभाग के अध्यक्ष के सेवानिवृत्ति पर विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन विभाग के सत्याग्रह कक्ष में सम्पन्न हुआ।
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देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है। 2021 में देश की कुल राष्ट्रीय आय का करीब 20 फीसदी महज एक फीसदी लोगों के हाथों में है। दूसरी ओर निचले तबके की आधी आबादी कुल राष्ट्रीय आय की महज 13.1 फीसदी कमाई करती है। अमीर और गरीब के बीच
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आज हमें पौधा लगाने के बाद उन्हें बचाने की ज्यादा जरूरत है। सोचना होगा कहीं हम नर्सरी में पल रहे शिशु पौधों की जान तो नहीं ले रहें। पर्यावरण पर हुए एक अध्ययन में जोर दिया गया है कि जंगलों और पारिस्थितिकी तंत्रों को बचाने के लिए पुराने पेड़ों को बचाना बहुत ज्यादा जरूरी और
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आजकल विभिन्न सामाजिक वर्गों में अलग-अलग किस्म के अंधविश्वास प्रचलित हैं। इतने जागरूकता अभियानों के बावजूद आज भी आपको गांव-कस्बों में भूत-प्रेत के किस्से सुनने को मिल जाएंगे। वहीं हायर क्लास के अंधविश्वास अलग हैं। इस क्लास में भी असुरक्षा की भावना कम नहीं है। इस वर्ग के लोग यूं तो अत्याधुनिक होने का दावा
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