दुनियां का सबसे बड़ा शहर पाटलिपुत्र और दूसरे पर रोम था- प्रो. मनोज

दुनियां का सबसे बड़ा शहर पाटलिपुत्र और दूसरे पर रोम था- प्रो. मनोज

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राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन , आचार्य निर्मल की मनाई गई पुण्यतिथि

राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते विभागाध्यक्ष व अतिथि

संपादक : सरस्वती कुमारी की कलम से

भागलपुर। स्नातकोत्तर गाँधी विचार विभाग, तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में सर्वोदय विचारक आचार्य निर्मल की पुण्यतिथि पर “बिहार के विकास की चुनौती” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन /ऑफलाइन मोड में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के शुरुआत में बापू के प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित की गई। इसके बाद विभाग के स्वराज कक्ष में अतिथियों द्वारा सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. विजय कुमार ने की। इस अवसर पर विभाग के सभी सहयोगी शिक्षक और सेमेस्टर वन के विद्यार्थियों के द्वारा सामूहिक रूप से वृक्षारोपण का भी कार्य किया गया।
ऑनलाइन माध्यम से जुड़े सर्वोदय आंदोलन के ओम प्रकाश जी ने कहा कि पढ़ाई के पारंपरिक आयाम के अलावा भी कई आयाम हैं जहां से रोजगार और उद्यम के नए द्वार खोले जा सकते हैं और विकास का रुख किया जा सकता है। हिस्टोरिकल टूरिज्म में भी बिहार में बहुत संभावनाएं हैं।
मुख्य वक्ता स्माजकर्मी रामशरण जी ने कहा कि बदलाव सिर्फ राजनीतिक और आर्थिक क्रांति से संभव नहीं होता है बल्कि सांस्कृतिक क्रांति भी जरूरी है। गैर गांधीवादी नीति विकास के मार्ग का बाधक है। लघु और कुटीर उद्योग में आज भी संभावनाओं के मूल द्वार हैं।
प्रो.मनोज कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि बिहार की बौद्धिक शक्ति का सदुपयोग, क्षेत्रवार अलग-अलग योजनाबद्ध उद्योग लगाने और शिक्षण संस्थानों के ढांचे और शिक्षण तकनीक में बदलाव करने से बिहार में परिवर्तन की काफी संभावना है ।
प्रो. मनोज कुमार दास ने कहा कि बिहार के राजधानी पटना अर्थात पाटलिपुत्र पूरी दुनियां का सबसे बड़ा शहर था दूसरे स्थान पर रोम था। एक समय था जब पटना से दिल्ली कंट्रोल होता था परंतु आज दिल्ली से पटना कंट्रोल हो रहा है। भारत में बिहार प्राचीन काल से ही समृद्ध रहा है, चीन, जापान, कोरिया के डिक्शनरी में भारत को स्वर्ग कहा गया है बिहार की इस शक्ति को पहचाना पड़ेगा।
प्रोफेसर डॉ. उमेश प्रसाद नीरज ने कहा कि बिहार के विकास की चुनौतियां केवल बिहार ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश की चुनौतियां हैं यह इसलिए कि आज जो विकास का मॉडल अपनाया गया है उसमें आधारभूत संरचना का तो विकास हुआ है लेकिन आर्थिक उन्नति कुछ लोगों खासकर कॉरपोरेट और उद्योगपतियों का हुआ। यह अपने आप में बड़ी चुनौती है ।
आज के सेमिनार के अध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार ने कहा बिहार को अपनी पहचान और अपने संकल्प के साथ-साथ अर्थशास्त्र, शैक्षिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्तर पर स्थानीय कौशल एवं तकनीक के सहारे सुधार करना होगा तभी बिहार आगे बढ़ेगा।
लोगों को जागरुक करते हुए उन्होंने कहा कि –
जागो फिर एक बार
हारा नहीं है बिहार

कार्यक्रम का संचालन गांधी विचार विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. देशराज वर्मा ने किया।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन सहायक अध्यापक गांधी विचार विभाग के श्री गौतम कुमार ने किया। ऑनलाइन तकनीकी व्यवस्था का संचालन नरेन नवनीत, प्रिंस कुमार और सागर शर्मा ने किया।
इस मौके पर विभाग के सहायक प्राध्याक डॉ. अमित रंजन सिंह (सीनेट सदस्य), डॉ उमेश प्रसाद नीरज, श्री गौतम कुमार, श्री मनोज कुमार दास, डॉ. देशराज वर्मा डॉ. सीमा कुमारी, श्री नरेन नवनीत (जेआरएफ), समाज कर्मी वासुदेव भाई, छात्र प्रिंस कुमार, सागर शर्मा, शंकर कुमार, निशा कुमारी, प्रियांशु कुमारी, माधुरी कुमारी, संजय दत्ता, राजीव रंजन, अमित राज आनंद, विनोद कुमार साह, सुनीता कुमारी, रियाज फातिमा, वर्षा रानी, पुष्पा कुमारी, राजीव कुमार, अभिनंदन यादव, मुकेश कुमार पासवान, राहुल कुमार यादव, शमा परवीन, अलकुमा, निरंजन कुमार मंडल, वर्षा रानी, सोनू कुमार गुप्ता, मधुकांत के साथ ही ऑनलाइन सरस्वती कुमारी, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विभुरंजन, डॉ. अमलेन्दु कुमार अंजन- सहायक प्राध्यापक हिन्दी (टी.एन.बी. काॅलेज) सहित बहुत संख्या में छात्र-छात्राएं शोधार्थी और प्रतिभागियों ने भाग लिया। साथ ही इस अवसर पर कार्यालय सहायक उमेश कुमार, रामचंद्र रविदास, आदि भी मौजूद रहे।

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