लुटती नारी द्वार पर

लुटती नारी द्वार पर

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साहित्य कोना
नारी मूरत प्यार की, ममता का भंडार।
सेवा को सुख मानती, बांटे ख़ूब दुलार॥
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अपना सब कुछ त्याग के, हरती नारी पीर।
फिर क्यों आँखों में भरा, आज उसी के नीर॥
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रोज कहीं पर लुट रही, अस्मत है बेहाल।
खूब मना नारी दिवस, गुजर गया फिर साल॥
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थानों में जब रेप हो, लूट रहे दरबार।
तब ‘सौरभ’ नारी दिवस, लगता है बेकार॥
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सिसक रही हैं बेटियाँ, ले परदे की ओट।
गलती करे समाज है, मढ़ते उस पर खोट॥
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नहीं सुरक्षित आबरू, क्या दिन हो क्या रात।
काँप रहें हम देखकर, कैसे ये हालात॥
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महक उठे कैसे भला, बेला आधी रात।
मसल रहे हैवान जो, पल-पल उसका गात॥
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जरा सोच कर देखिये, किसकी है ये देन।
अपने ही घर में दिखे, क्यों नारी बेचैन॥
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रोज कराहें घण्टियाँ, बिलखे रोज़ अजान।
लुटती नारी द्वार पर, चुप बैठे भगवान॥
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नारी तन को बेचती, ये है कैसा दौर।
मूरत अब वह प्यार की, दिखती है कुछ और॥
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नई सुबह से कामना, करिये बारम्बार।
हर बच्ची बेख़ौफ़ हो, पाये नारी प्यार॥

  • डॉo सत्यवान सौरभ,
    कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
    333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
    हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148,01255281381
  • ਡਾ. ਸਤਿਆਵਾਨ ਸੌਰਭ,
  • ਕਵੀ, ਸੁਤੰਤਰ ਪੱਤਰਕਾਰ ਅਤੇ ਕਾਲਮਨਵੀਸ,
  • ਆਲ ਇੰਡੀਆ ਰੇਡੀਓ ਅਤੇ ਟੀਵੀ ਪੈਨਲਿਸਟ,
  • 333, ਪਰੀ ਵਾਟਿਕਾ, ਕੌਸ਼ਲਿਆ ਭਵਨ, ਬਰਵਾ (ਸਿਵਾਨੀ) ਭਿਵਾਨੀ,
  • ਹਰਿਆਣਾ – 127045, ਮੋਬਾਈਲ : 9466526148,01255281381

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