साहित्य कोना (कविता)- तुम मुझे संरक्षण दो

पारो शैवलिनी, चित्तरंजन,पश्चिम बर्धमान (पश्चिम बंगाल) 713331 तुम मुझे संरक्षण दो, मैं तुम्हें हरियाली दूंगा काटो और काटो और-और काटो क्योंकि कटना ही तो नियति है हमारी अगर कटेंगे नहीं तो बंटे कैसे कभी छत, कभी चौखट, कभी खिड़की कभी खंभों के रूप में तो कभी अस्तित्व प्रहरी दरबाजे के रूप में तुम झूठला नहीं
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साहित्य कोनानारी मूरत प्यार की, ममता का भंडार।सेवा को सुख मानती, बांटे ख़ूब दुलार॥●●●अपना सब कुछ त्याग के, हरती नारी पीर।फिर क्यों आँखों में भरा, आज उसी के नीर॥●●●रोज कहीं पर लुट रही, अस्मत है बेहाल।खूब मना नारी दिवस, गुजर गया फिर साल॥●●●थानों में जब रेप हो, लूट रहे दरबार।तब ‘सौरभ’ नारी दिवस, लगता है
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