Charchaa a Khas
सरस्वती कुमारी (शाहकुण्ड)।
आर्टिकल लिखना बहुत ही आसान है लेकिन जब हम लिखना शुरू करते हैं तो समझ में नहीं आता है कि क्या लिखें और क्या नहीं।
जब हम बोलते हैं तो अपने शब्दों पर हमारा नियंत्रण नहीं होता। हम बहुत सी बातें बोलते हैं लेकिन जब लिखने की बात आती है तो हम वही चीजें लिखते हैं जो बहुत जरूरी होती हैं। ठीक उसी तरह आर्टिकल लिखने का मतलब होता है कि कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक जानकारी बताना।
जब हम बात करते हैं तो सामने वाले को देखकर पता चल जाता है कि हम जो कह रहे हैं वह उसे समझ रहे हैं या नहीं लेकिन जब बात लिखने की आती है तो हमें यह पता नही होता है।
आर्टिकल Writing क्या है ?
किसी भी विषय के बारे में लिखना तथा उसके बारे में पाठकों को अधिक से अधिक जानकारी देना आर्टिकल लेखन कहलाता है। यह दो प्रकार के होते हैं।
जिसके हर शब्द का चयन बहुत सोच समझ कर किया जाता है। किसी भी आर्टिकल में उस विषय की जानकारी को सरल व साधारण भाषा में समझाया गया हो जैसे व्यक्तिगत राय, निबंध आदि।
आर्टिकल लिखने का उद्देश्य –
एक आर्टिकल (लेख) निम्नलिखित उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए लिखा जाना चाहिए
• विषय को अग्रभूमि में लाया गया हो तथा सभी जरूरी बिंदुओं को लेख में शामिल किया गया हो।
• लेख पाठकों पर प्रभाव डालने वाला हो ताकि पाठक सोचने पर मजबूर हों।
• लेख में लोगों, स्थानों, उभरती चुनौतियों और तकनीकी प्रगति सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल की गई हो।
आर्टिकल लेखन प्रारूप –
आप जिस भी विषय पर लिखना चाहते हैं, यह महत्वपूर्ण है कि आप लेख की संरचना को जानें और फिर उसके अनुसार विवरण का उल्लेख करें।
लेख को मुख्य रूप से 4 खंडों में विभाजित किया जाना चाहिए – शीर्षक, परिचय, स्पष्टीकरण और निष्कर्ष। जिसके बारे में जानकारी इस प्रकार है –
1- शीर्षक
लेख (Article) का शीर्षक (Title) लेख को पाठकों तक पहुँचाने में सहायक होता है। लेख आकर्षक और अलग होने के साथ-साथ समझने में आसान होना चाहिए एक अच्छा शीर्षक पाठक का ध्यान खींचता है और उन्हें लेख पढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
2- परिचय
यह विषय वस्तु का परिचय देता है और पाठक को बताता है कि लेख किस बारे में है व इसमें क्या-क्या जानकारी दी गई है साथ ही इससे पाठक को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।
3- व्याख्या
व्याख्या लेख का मुख्य भाग है। इसमें विषयवस्तु को विस्तार से समझाया जाता है साथ ही Topic से जुड़े तमाम सवालों का जवाब दिया जाता है। इसे Explanation Part भी कहा जाता है। इस खण्ड में आपको टॉपिक से जुड़े सभी सवालों के जवाब देने चाहिए और हर एक पॉइंट को अच्छे से समझाना चाहिए।
4- निष्कर्ष
निष्कर्ष लेख का अंतिम भाग है। ध्यान रखें कि यह शीर्षक से छोटा हो जो कि पूरे लेख का संक्षिप्त सारांश है, साथ ही यह लेख के अंत का प्रतीक भी है।
आर्टिकल कैसे लिखा जाता है
जब भी आप किसी विषय पर लेख लिखते हैं तो आपको बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है। नीचे दी गई जानकारी को ध्यान से पढ़ें, समझें जिससे आपको लेख लिखने में मदद मिलेगी।
1- कल्पना शक्ति का उपयोग
यह लेखन का प्रथम व महत्वपूर्ण हिस्सा है यदि आप किसी भी विषय पर कोई लेख लिखते हैं तो केवल एक विचार को ध्यान में रखते हुए न लिखें बल्कि इसे पूरे समाज और उन सभी लोगों के लिए लिखें जो इसे प्राप्त कर सकते है। लेख लिखने के लिए आप कल्पना शक्ति का उपयोग कर लेख संरचना कर सकते हैं, जो आपके पाठकों को आपका पूरा लेख पढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
2- शांत वातावरण
आप ऐसी जगहों पर जाकर अपने लेखन कौशल को एक बेहतर लेखन शैली की ओर ले जा सकते हैं जहाँ शांति का वातावरण हो ताकि आपका चंचल मन कहीं और न जाए क्योंकि पुनः एकाग्र होने में काफी समय लग सकता है। इसलिए एक अच्छा लेख लिखने के लिए शांत वातावरण की आवश्यकता होती है।
3- शब्दों का प्रयोग
लेख लिखते समय आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप आर्टिकल में किसी भी एक शब्द का अधिक बार प्रयोग न करें, इसका मुख्य कारण यह है कि ऐसा करने से आपके पाठक लेख पढ़ते-पढ़ते ऊब सकते हैं और आर्टिकल को आधे में ही छोड़ सकते हैं।
इसलिए एक जैसे शब्दों का प्रयोग करने के बजाय समान अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग करें ताकि पाठकों को यह न लगे कि वे एक ही पंक्ति को बार-बार पढ़ रहे हैं।
4- संपूर्ण जानकारी
लेख में जब भी आप किसी विषय के बारे में बताएं तो इस बात को ध्यान में रखकर ही लिखें कि उस विषय को पढ़ने के बाद पाठक के मन में उस विषय के बारे में अधूरी जानकारी न रहे। इसलिए आप अपना लेख जीरो से लिखें ताकि हर वर्ग के लोग बहुत आसानी से समझ सकें।
ध्यान रखने योग्य बातें
• शब्दावली कौशल का प्रयोग करें या शुरुआत के लिए कुछ प्रश्नवाचक शब्दों का उपयोग करने का प्रयास करें।
• लेखों के विषय अद्वितीय और प्रासंगिक होने चाहिए तथा लेख पढ़ने में आसान होना चाहिए।
• विषय के अनुसार जितना आवश्यक हो उतना ही लिखें। लेख को जानबूझकर लम्बा न करें। इससे लेख की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।