गांधी की कर्मभूमि आज उपेक्षित है : डॉ उमेश

गांधी की कर्मभूमि आज उपेक्षित है : डॉ उमेश

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संपादक : सरस्वती कुमारी की कलम से

प्रो.मनोज कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा की गौरवशाली इतिहास पर इठलाने के बजाय चिंतन, बदलाव की आवश्यकता है, विकास का वर्तमान मापदंड, संसाधन की प्रचुरता हैं, परंतु वास्तव में बिहार कृषि एवं रोजगार से ही आगे बढ़ सकेगा। मछली, मखाना, पशुधन, सब्जी आदि से संबंधित उद्योग लगा सकते हैं।
मुख वक्ता सी ए प्रियदर्शी ने कहा 35% आरक्षण तमिलनाडु के बाद सिर्फ बिहार में है। आज भ्रष्टाचार गपशप का विषय हो गया है। जबकि इसे गंभीर बनाना चाहिए। विकास समावेशी और रोजगार पैदा करने वाला हो अन्यथा महंगाई बढ़ेगी।


प्रो. मनोज कुमार दास ने कहा कि जाति व्यवस्था की पीड़ा पर बिहार जिस दिन जाति, वर्ग, धर्म से ऊपर उठकर अपने मुद्दों के आधार पर मतदान करेगा उस दिन बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आएगा।
प्रोफेसर डॉ विकास नारायण उपाध्याय ने कहा कि आज आंदोलन और सत्याग्रह का अभाव है सेमिनार और संवाद की बातों को सरकार तक पहुंचना चाहिए।
डॉ हरेंद्र कुमार ने लोहिया की बातों को याद करते हुए कहा कि सड़के जब सुनी हो जाती हैं तो संसद आवारा हो जाता है।
प्रो. रतन मंडल ने कहा बिहार की सभी अंगों में पीड़ा है, मजदूर, किसान लोग, छात्र-छात्राएं, कॉलेज, पारिवारिक स्तर पर भी पीड़ा हैं।
संगोष्ठी में समाजकर्मी उदय जी, लखन लाल पाठक जी, सुरेंद्र भाई ने भी अपनी बातें रखी।

अपने उद्बोधन में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार ने कहा की बिहार की पीड़ा और प्रयास को यदि समेकित रूप में देखें तो आज स्थानीय साधन, हुनर, कौशल के आधार पर उद्योग लगाने की आवश्यकता है। इसमें कम लागत में ज्यादा लाभ मिल सकता है। उन्होंने रचनात्मक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने और संगठित प्रयास की आवश्यकता की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देश राज वर्मा ने किया। इस मौके पर विभाग के सहायक प्राध्याक डॉ. अमित रंजन सिंह (सीनेट सदस्य), डॉ उमेश प्रसाद नीरज, गौतम कुमार, मनोज कुमार दास, डॉ. देशराज वर्मा, डॉ. सीमा कुमारी, नरेन नवनीत (जेआरएफ), समाज कर्मी गौतम कुमार, सरस्वती कुमारी, निशा कुमारी, प्रियांशु कुमारी, माधुरी कुमारी, रियाज फातिमा, वर्षा रानी, पुष्पा कुमारी, मिनी कुमारी, अभिनंदन यादव, मोहम्मद अजहरुद्दीन, मनीष आर्य, शिल्पा मिश्रा सहित

छात्र प्रिंस कुमार, सागर शर्मा, शंकर कुमार, गौरव कुमार सिंह, संजय कुमार, नवनीत कुमार, श्रवण कुमार, संजय दत्त, अमित राज आनंद, विनोद कुमार साह, सुनीता कुमारी, राजीव कुमार, अमरेंद्र कुमार, फंटूश राम, राजकुमार दास, दीपांकर लाल, करण कुमार राणा

आदि छात्र-छात्राएं, शोधार्थी और ऑनलाइन माध्यम से लगभग 100 प्रतिभागी जुड़े हुए थे एवं कार्यालय सहायक उमेश कुमार, रामचंद्र रविदास आदि मौजूद थे।

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