देश के युवा मौलिक कर्त्तव्यों के प्रति सजग और सचेत रहें- राज्यपाल

देश के युवा मौलिक कर्त्तव्यों के प्रति सजग और सचेत रहें- राज्यपाल

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पटना। ‘‘राज्य व्यवस्था के सभी घटकों को संविधान निर्माताओं की भावना तथा उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान में निहित प्रावधानों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। देश के नागरिकों, विशेषकर युवाओं से मेरी अपेक्षा है कि वे संविधान में वर्णित मौलिक कर्त्तव्यों के प्रति सजग और सचेत रहें।‘‘- यह बातें महामहिम राज्यपाल ने संविधान दिवस के अवसर पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।


राज्यपाल ने कहा कि डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद एवं डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर सहित अनेक विद्वानों ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विश्व के विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन एवं व्यापक विचार-विमर्श के उपरान्त उनकी खूबियों को आत्मसात करते हुए भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया गया।
उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। प्राचीनकाल में लिच्छवी, कपिलवस्तु, कुशीनारा, रामग्राम, मिथिला, कोलांगा आदि गणराज्यांें में प्रतिनिधिमूलक राजव्यवस्था थी और इनका संचालन सभा, समितियों और गणपति के माध्यम से हुआ करता था। भगवान बुद्ध ने भी इन गणराज्यों की लोकतांत्रिक व्यवस्था के आधार पर ही अपने संघ के नियम निर्धारित किये थे। इस प्रकार लोकतांत्रिक शासन प्रणाली हमारी विरासत का अभिन्न अंग रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत हमारे संविधान निर्माताओं ने एक मौलिक लोकतंत्र के आधारभूत तत्वों यथा- अभिव्यक्ति और अंतःकरण की स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता, विधि के समक्ष समानता का अधिकार, सरकार का गणतांत्रिक स्वरूप, लैंगिक समानता, प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार आदि को भारतीय संविधान में प्रमुखता से स्थान दिया है।


राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुरूप चलते हुए हमारे देश ने
विगत 73 वर्षों में अनेक उपलब्धियाँ हासिल की है। यद्यपि इसके लागू होने से लेकर अबतक आवश्यकता के अनुसार इसमें अनेक संशोधन किये गये हैं, किन्तु इसकी मूल भावना अक्षुण्ण है। भारतीय संविधान द्वारा निर्मित ढाँचे और संस्थागत रूपरेखा के कारण अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए भी भारत विश्व का सबसे बड़ा, सफल और सुदृढ़ लोकतंत्र है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कहा कि 26 नवम्बर, 1949 को संविधान को स्वीकार किया गया था। उन्होंने कहा कि 26 नवम्बर, 2011 से बिहार में मद्य निषेध दिवस मनाना शुरू किया गया था। शराबबंदी लागू होने के बाद


26 नवम्बर, 2016 से नशा मुक्ति दिवस मनाया जाने लगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश जे॰ए॰डी॰-1 माननीय न्यायमूर्ति श्री अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जनता के लिए काम करते हैं। संविधान वह मूल दस्तावेज है जो हमारा मार्गदर्शन करता है। हमें अपने आपको राष्ट्र की सेवा के लिए फिर से समर्पित करना चाहिए।


कार्यक्रम में बिहार विधान सभा के माननीय अध्यक्ष श्री अवध बिहारी चौधरी, माननीय मंत्री जल संसाधन विभाग व सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग श्री संजय कुमार झा, माननीय विधि मंत्री डॉ॰ शमीम अहमद, पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्तिगण,
मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री रॉबर्ट एल॰ चोंग्थू, राज्यपाल सचिवालय के पदाधिकारीगण एवं अन्य कर्मीगण भी उपस्थित थे। महामहिम राज्यपाल ने संविधान दिवस के अवसर पर माननीय अतिथियों को स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित
भी किया।

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