Charchaa a Khas
केंद्रीय खुफिया विभाग( IB) में नरेश नाज ने 1970 में ज्वाइन किया और नेशनल पुलिस एकेडमी माउंट आबू (राजस्थान) से ट्रेनिंग से इनके जीवन की सरकारी सेवा शुरू हुयी। इनका सफ़र 2007 में चंडीगढ़ में अवकाश प्राप्त से समाप्त हुआ। सेवाकाल में कश्मीर ,असम, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और चंडीगढ़ आदि में जीवन के तमाम अनुभव
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चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौन ! प्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन !! ★★★ राम राज के नाम पर, कैसे हुए सुधार ! घर-घर दुःशासन खड़े, रावण है हर द्वार !! ★★★ कदम-कदम पर हैं खड़े, लपलप करे सियार ! जाये तो जाये कहाँ, हर बेटी लाचार !! ★★★ बची कहाँ
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( संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव आज समय की मांग है. भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के सुधारों को लेकर लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. आज संयुक्त राष्ट्र को भारत कि तर्ज पर कार्य करने की अहम जरूरत है. हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते
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पटना। बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने राज्य के छह विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति कर दी है। मुख्यमंत्री सुबह 11.30 बजे राजभवन गये थे समझा जाता है कि करीब डेढ़ घंटे राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सर्च कमेटी द्वारा विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा प्रति कुलपतियों के लिए सुझाए गए नामों पर
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हिन्दी दिवस पर चित्तरंजन में किसलय ने किया द्विभाषी आयोजन चितरंजन(प. बंगाल)। स्थानीय अमलादहि स्थित जनरव सांस्कृतिक क्लब के कार्यालय में सोमवार की देर शाम हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। इस आयोजन में हिन्दी व बंगला जगत के साहित्यकारों ने अहिन्दी भाषी क्षेत्र में हिन्दी का विकास कैसे विषय पर अपने सारगर्भित विचार रखे।विषय
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चारो ओर शौर दे रहा है सुनाई , आज हिंदी दिवस है भाई । आज हिंदी दिवस है भाई ।। परंतु क्या हिंदी के लिए एक दिन ही काफी है ? यह तो इसके साथ सरासर ना इंसाफी है । हिंदी से ही हमारी संस्कृति विकास करती है, यह भाईचारे और सौहार्द्र में विस्वास करती
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( हरियाणा सरकार का तुगलकी आदेश निम्न स्तर के बच्चों को सरकारी नौकरी में ला रहा है. मेरिट वाले मेहनती और प्रतिभाशाली बच्चों के लिए हरियाणा में नौकरी के चांस न के बराबर हो गए है. वोट बैंक के लिए गरीबी और सरकारी नौकरी का हवाला देकर हरियाणा के आने वाले भविष्य को तबाह करने
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(हिंदी दिवस विशेष ) (मातृभाषा में पढाई वैचारिक समझ के आधार पर एक घरेलू प्रणाली के साथ सीखने और परीक्षा-आधारित शिक्षा की रट विधि को बदलने में मदद करेगा। जिसका उद्देश्य छात्र के अपनी भाषा में ज्ञानात्मक कौशल को सुधारना है, ताकि वह अन्य भाषाओँ के बोझ तले न दब सके और चाव से अपनी
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विभुरंजन आज माँल में क्या नहीं मिल रहा है ? छड़, सीमेंट और बालु छोड़ कर सभी सामग्री उपलब्ध है भाई। अब ये तमाम सामग्री के थोक बिक्रेता पर ध्यान दें- लगभग सभी समानों का होल सेल/वितरक/CNF “वैश्य” के हाथों में होता था, जिसमें मारवाड़ी समाज सबसे आगे था। बांकी हाँल सेल का काम अन्य
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विभुरंजन बगैर एकजुटता की अपनी शान को बचाना संभव नहीं है। आन-बान-शान की रक्षा के लिए अब यदि एकजुट नहीं हुए तो आने वाले दिनों में आपकी दुर्दशा पर आंसू बहाने वाले कोई नहीं मिलेगें और इस दुर्भाग्य के लिए अपने पुर्वजों को कोसेंगे कि समय रहते एक होने के लिए हमें जागृत नहीं किया।
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