साहित्य संसद द्वारा आयोजित भागलपुर पुस्तक मेला का हुआ विधिवत समापन

साहित्य संसद द्वारा आयोजित भागलपुर पुस्तक मेला का हुआ विधिवत समापन

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व्यक्ति आते हैं और चले जाते हैं परन्तु उनके श्रेष्ठ विचार, ज्ञान, उपदेश, संस्कृति, सभ्यता, मानवीय मूल्य पुस्तकों के रूप में जीवित रहते हैं।

कुंदन राज

भागलपुर। साहित्य संसद द्वारा आयोजित भागलपुर पुस्तक मेला का विधिवत समापन हो गया। समापन के अवसर पर भागलपुर के “साहित्यकारों का सम्मान समारोह” का आयोजन संयोजक दयानंद जायसवाल जी द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत कपिलदेव कृपाला के स्वागतगान से हुआ। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विनोद कुमार चौधरी ने कहा पुस्तक मनुष्य के सच्चे साथी होते हैं। पुस्तकें ना केवल मनुष्य का ज्ञान बढ़ाती है बल्कि उनके व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव भी डालती है। इस प्रकार का आयोजन होते रहना चाहिए। इसलिए मैं इसके संयोजक दयानंद जायसवाल जी को धन्यवाद देता हूँ तथा इसे सफल बनाने में जो भी अपना सहयोग दिए उनको भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।

वहीं कुमार सन्दीप ने भी इस आयोजन की सराहना करते हुए भविष्य में भी अपना सहयोग देते रहने की बात कही और अंत मे अपनी एक कविता का भी पाठ किया। इस दौरान डॉ. अरविंद कुमार चौधरी ने कहा पुस्तकें अगर दुकानों में सिर्फ बिक रही होती है, तो वह वहीं तक रह जाती है। पुस्तक मेले के ज़रिये पुस्तकों का प्रचार प्रसार किया जाता है ताकि वह ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुँच सके।

पुस्तक मेले के माध्यम से पुस्तकों की लोकप्रियता बढ़ जाती है। पुस्तक मेला एक प्रदर्शन का केंद्र है जो बहुत ज़रूरी होता है। प्रकाशकों की बिक्री को विकसित करने और ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुंचने के लिए पुस्तक मेला आवश्यक होता है। इसलिए मैं इसके आयोजकों को बहुत बहुत धन्यवाद देते हुए कहना चाहता हूँ कि मैं अपने महाविद्यालय के पुस्तकालय हेतु 20 हजार की पुस्तकें ली। आप लोग भी पुस्तकें खरीदारी करें ये अपील की। अंततः कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. बहादुर मिश्र ने कहा पुस्तकें अनमोल हैं। वे हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं क्योंकि वे ज्ञान-विज्ञान के भंडार हैं। व्यक्ति आते हैं और चले जाते हैं परन्तु उनके श्रेष्ठ विचार, ज्ञान, उपदेश, संस्कृति, सभ्यता, मानवीय मूल्य पुस्तकों के रूप में जीवित रहते हैं। उनका विनाश नहीं होता । वे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्राप्त होते रहते हैं । उदाहरण के लिए हमारे वेद, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, हमारा इतिहास सभी आज जीवित हैं, हमारे पास हैं। ये सभी ग्रंथ हजारों साल पहले रचे गये थे, परन्तु आज भी वे हमें प्रकाश और प्रेरणा दे रहे हैं। इसलिए पुस्तक मेला का आयोजन बहुत ही कारगर और उपयोगी है। इस आयोजन से यहां की जनता बहुत अधिक लाभान्वित हुईं। इसलिए मैं आयोजक को हार्दिक बधाई व धन्यवाद देता हूँ। उन्होंने यह भीख की मैंने 15 हजार की पुस्तकें खरीदी और आप भी खरीदें। संयोजक दयानन्द जायसवाल के धन्यवादोपरांत पुस्तक मेला आज समापन हुआ। पुस्तक मेला शहर में आकर्षण का केंद्र बना रहा। पुस्तकों की बिक्री लगभग 50 हजार के आसपास की रही है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. बहादुर मिश्र पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, डॉ अरविंद कुमार चौधरी प्राचार्य महादेव सिंह कॉलेज, कुमार सन्दीप टीटी कॉलेज व विनोद कुमार चौधरी पूर्व प्राचार्य मोक्षदा बालिका इंटर स्कूल के अलावा अन्य साहित्यकार उपस्थित थे।

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