स्थानीय आधार पर आर्थिक विकास की प्रक्रिया को अपनाना होगा – प्रो. विजय

स्थानीय आधार पर आर्थिक विकास की प्रक्रिया को अपनाना होगा – प्रो. विजय

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संपादक : सरस्वती कुमारी की कलम से।
भागलपुर। स्नातकोत्तर गाँधी विचार विभाग, तिलकामाँझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में “बिहार आंदोलन के 50 वर्ष” विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।


कार्यक्रम के शुरुआत में बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित करने के बाद विभाग के स्वराज कक्षा में अतिथियों द्वारा सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।
मुख्य वक्ता प्रो. सुरेन्द्र भाई पूर्व अध्यक्ष गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली ने कहा कि संपूर्ण क्रांति के मुद्दों में भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा था भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उत्पन्न यह क्रांति आज भी जीवित है क्योंकि भ्रष्टाचार आज और गहरा होता चला गया है। इन्होंने इंदिरा की तानाशाही के खिलाफ उत्पन्न आंदोलन की सफलता को सामने रखते हुए कहा कि संपूर्ण क्रांति ने लोकतंत्र में तानाशाही की प्रवृत्ति को समाप्त किया और आज के संदर्भ में आने वाले पीढ़ी के लिए हर तनाशाही के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा के रूप में संपूर्ण क्रांति जीवित है, जीवित रहेगा, साथी अहिंसक और निर्दलीय नेतृत्व की आवश्यकता जताई।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पूर्व अधिकारी हरेंद्र प्रताप ने जनता को उसकी शक्ति और कर्तव्य का एहसास करते हुए कहा कि सत्ता न हो भ्रष्टाचारी, हमारी भी है जिम्मेदारी।
जे. पी. विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर फारूक अली ने अपने उद्बोधन में कहा कि अंधेरे के तीन प्रकाश गांधी, लोहिया, जयप्रकाश।
गांधी शांति प्रतिष्ठान भागलपुर के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र गुप्ता ने कहा कि जेपी ने अहिंसक आंदोलन की शर्त पर नेतृत्व को स्वीकारा था साथ ही उन्होंने कहा कि विचार और कर्म में आज भी एक होने की आवश्यकता है।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो मनोज कुमार ने संपूर्ण क्रांति आंदोलन की सफलता और सफलता के संदर्भ में कहा की किसी भी आंदोलन में दो तरह के लोग होते हैं कुछ लोग स्वार्थी होते हैं जो आंदोलन में इसलिए प्रवेश करते हैं ताकि उसे आंदोलन से लाभ उठा सकें। 1947 के आंदोलन में भी और 1974 के आंदोलन में भी और फिर अन्ना आंदोलन में भी इस तरह की बातें देखी गई।
डॉ. मनोज कुमार ने तो यहां तक कहा कि अन्ना आंदोलन आज के समय में मैं मानता हूं कि वह प्रायोजित आंदोलन था क्योंकि उसे आंदोलन के बाद जिस तरह से स्वार्थी तत्वों का बोल वाला देश की सत्ता में हुआ है वह आज संपूर्ण क्रांति को पुनः याद दिलाती है, आज फिर संपूर्ण क्रांति को याद करने की जरूरत है।
स्नातकोत्तर गांधी विचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार ने कहा स्थानीय आधार पर आर्थिक विकास की प्रक्रिया को अपनाना होगा, वर्तमान विकास विनाश की ओर ले जाने वाला है। जब तक हम मांग और पूर्ति के अर्थशास्त्र के नियम को नहीं त्यागेंगे तब तक पूंजीपतियों के चंगुल में समाज फंसा रहेगा और विकास के अंध दौड़ में शामिल होता रहेगा। आज यह संकल्प लेने की जरूरत है कि स्थानीयता के आधार पर स्थानीय संसाधनों के आधार पर गांधी के ग्राम स्वराज कल्पना के अनुरूप ग्राम आर्थिक रचना की जाए विकास का यही पैमाना पर्यावरणीय पैमाना है।
मंच संचालन सहायक अध्यापक डॉक्टर उमेश कुमार नीरज ने की। धन्यवाद ज्ञापन गौतम कुमार ने किया। इस मौके पर विभाग के, सहायक प्राध्याक डॉ. अमित रंजन सिंह (सीनेट सदस्य), डॉ. उमेश प्रसाद नीरज, श्री गौतम कुमार, श्री मनोज कुमार दास, डॉ. देशराज वर्मा, डॉ. सीमा कुमारी, श्री नरेन नवनीत (जेआरएफ), डॉ. विभुरंजन, समाज कर्मी रेनू सिंह, गौतम कुमार छात्र शाम परवीन, रूपेश कुमार, आराध्या सिंह, मधुकांत कुमार, सावन कुमार, विजय कुमार, अमरेश कुमार, रीना कुमारी, सुलोचना कुमारी, शिल्पा मिश्रा, सरस्वती कुमारी आदि छात्र-छात्राओं व शोधार्थी और ऑनलाइन माध्यम से लगभग 100 प्रतिभागी जुड़े हुए थे, एवं कार्यालय सहायक उमेश कुमार, रामचंद्र रविदास, आदि मौजूद थे।

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