अभूतपूर्व कला पारखी थे श्री हरिकुंज : दत्तात्रेय

अभूतपूर्व कला पारखी थे श्री हरिकुंज : दत्तात्रेय

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भागलपुर (बिहार)। शब्दयात्रा भागलपुर द्वारा पूर्वोत्तर भारत के संत-साहित्यकार कीर्तिशेष श्री हरिलाला कुंज जी की जन्मशती-वर्ष पर, साक्षी हैं पीढ़ियाँ अंतर्गत – ‘हरिकुंज व्याख्यानमाला – 4’ का ऑनलाइन आयोजन।

इसकी अध्यक्षता करते हुए अवकाश प्राप्त जनसंपर्क उपनिदेशक शिवशंकर सिंह पारिजात ने कहा कि भागलपुर के साहित्यिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जगत् को अपनी बहुमुखी प्रतिभा से सींचनेवाले श्री हरिकुंज जी अपने अतुल्य योगदान के लिये सदैव याद किये जायेंगे !

मुझे उनकी रचनाओं को पढ़ने के साथ-साथ महर्षि मेंहीं दास परमहंस के प्रवचनों में वायलिन की तान छेड़ते हुए, तो नाटकों में अभिनय करते हुए देखने के भी मौके मिले।
सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि ‘उल्लू’ पत्रिका के संपादक श्री अश्विनी कुमार भागलपुरी ने कहा – ‘चित्रशाला’ में होनेवाली छेटी-छोटी गोष्ठियों की बात ही कुछ अलग थी। डार्करूम में प्रायोगिक कार्य कर जब वे बाहर निकलते तो पसीने से तर-बतर। पंखे की हवा में थोड़ी राहत पाते, फिर पानी पीते हुए समसामयिक चर्चाओं में मगन हो जाया करते।
‘आस्था’ व ‘संस्कार’ चैनल सहित लोकगीत भजन गायक डॉ हिमांशु मोहन मिश्र ‘दीपक’ ने कहा कि श्री मीरा जयंती महोत्सव के विराट मंच पर उनके बालशखा मानस मर्मज्ञ इंदुभूषण गोस्वामी जी के साथ मुझे भजन गायन का सौभाग्य प्राप्त हुआा। अंगजनपद में साहित्यिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करने में श्री हरिकुंज जी का महत्वपूर्ण योगदान है। ‘चित्रशाला स्टूडियो’ में देशभर की विभूतियों का मिलन होता था। यहीं से सारी गतिविधियाँ संचालित होती थी।
सेवानिवृत्त आध्यात्मिक बैंककर्मी श्री गोपालकृष्ण प्रज्ञ ने कहा कि उनकी आँखों में सदा करुणा ही बरसती थी | उनके हृदय में तो कभी किसीके प्रति कुत्सित भावना थी ही नहीं।
अखिल विश्व आत्मिक परिषद् के संस्थापक कवि ठाकुर अमरेन्द्र दत्तात्रेय ने कहा – हरिकुंज जी अपूर्व कलाकार व कलापारखी थे। तत्कालीन दिग्गज साहित्यकारों-संस्कृतिकर्मियों व सनातन धर्म प्रचेताओं की विराट् मालिका के वे सुग्रंथी रहे।
कोलकाता के वरिष्ठ रंगकर्मि पत्रकार श्री दीपक सान्याल ने कहा – उनकी वजह से ‘चित्रशाला’ ही नहींं भागलपुर की धरती हिंदी और बांग्ला साहित्य की महान विभूतियों के चरणस्पर्श से पवित्र हो गई ।

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