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तम्बाकू जला व तम्बाकू बहिष्कार शपथ ले मनाया गया नो टोबैको डे
आज 31 मई को दुनिया भर में वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया जाता है।
पटना। बिहार के प्रसिद्ध सवेरा कैंसर हॉस्पिटल पटना में भी बुधवार को वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया गया। भव्य तरीके मनाए गए इस कार्यक्रम में तम्बाकू को जलाया गया व इसे उपयोग में नही लाने के लिए तम्बाकू बहिष्कार की सपथ ली गयी। उक्त कार्यक्रम के जरिये लोगो को तंबाकू से होने वाली घातक बीमारियों के बारे में जागरुक किया गया। पूरे कार्यक्रम का संचालन पद्मश्री डॉ आर एन सिंह के मार्गदर्शन में किया गया।ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गैट्स) 2009-10 के अनुसार, करीब 35 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं इनमें 47 प्रतिशत पुरुष और 20.2 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस अवसर पर प्रख्यात कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ वी० पी० सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि धूम्रपान का सेवन करना, स्पस्टतः जीवन को नरक से भी बदतर बनाना है। इससे आर्थिक, शारीरिक और सामाजिक आदि हर स्तर पर नुकसान ही नुकसान होता है। एक अनुमान के मुताबिक विश्व में लगभग डेढ अरब लोग धूम्रपान करते हैं और लगभग 50 लाख लोग प्रतिवर्ष धूम्रपान के घातक प्रभावों के कारण अकाल मौत के शिकार हो जाते है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है की इन धूम्रपान करने वालो के संपर्क में रहने के कारन प्रतिवर्ष धूम्रपान न करने वाले 6 लाख लोग अतिरिक्त व्यक्ति भी काल की भेंट चढ़ जाते है।
डॉ० वी० पी० सिंह ने कैंसर के कारण के विषय में आगे बताया – नशा का सेवन करने से जैसे – खैनि, गुटखा, तंबाखू, पान मशाला, बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि से। ख़ान-पान से जैसे – ज़्यादा चर्बी वाले चीज़ो को खाने से, ज़्यादा नमक खाने से, जो खाना पचने मे ज़्यादा समय लेता है उससे, ज़्यादा समय से एक ही जगह पर बैठने से। मोटापा, हेपटाइटिस ब और एचाइवी के वाइरस की वजह से भी। महिलाओ मे कैंसर के वजह, – बच्चो को अपना दूध नही पिलाने से, ज़्यादा गर्व निरोधक दावा का इस्तेमाल से। मासिक धर्म के बाद अंडरआर्म या फिर ब्रैस्ट में गांठ दिखाई पड़ना। ब्रैस्ट की त्वचा में कोई भी बदलाव महसूस होना। या गड्ढा हो जाना। कैंसर का लक्षण मूह के अंदर छाले होना, मूह का सुकड़ना और पूरी तरह मूह का ना खुलना, खाना खाने चबाने, निगलने या हज़्म करने में परेशानी होना, कमर में हमेशा दर्द होना, पेसाब की आदतो मे बदलाव होना, पेशाब में आनेवाले ख़ून, लगातार खाँसी होना या आवाज़ का बैठ जाना, खांसी के दौरान ख़ून का आना, ब्रेस्ट में या फिर शरीर के किसी और हिस्से में गाँठ बनाना, ख़ून की कमी की बिमारी अनीमिया। प्रोस्टेट के परीक्षण के असामान्य परिणाम, मीनोपॉस के बाद ख़ून आना।
कैंसर से कैसे बचे / घरेलू उपचार जैसे मुद्दों पर भी डॉ वी पी सिंह ने खुल कर बताया : पान, गुटखा, सिगरेट किसी भी नशा का सेवन बिल्कुल ना करे, फल, हरी सब्जी का ज़्यादा इस्तेमाल करे, नींबू, संतरा या मौसमी का जूस पिए, नमक का इस्तेमाल कम करे, और रेग्युलर एक्सर्साइज़ करे, चर्बी वाले चीज़ो को बिल्कुल ना खाए, हरी चाय(Green Tea) ले, ये कैंसर के इलाज के लिए बहुत बेहतर है, अगर आपको कैंसर है तो, दूध, दही, डेआरी प्रॉडक्ट का इस्तेमाल ना करे, हल्दी का इस्तेमाल कैंसर के मरीज़ो के लिए बहुत लाभदायक है, गेहू और जौ मिश्रित आटा कइस्तेमाल बहुत फयदेमंद है, कैंसर की श्रेणी में सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए एक वैक्सीन बाजार में उपलब्ध है और यह तीन डोज के रूप में पहले से छ्टे महीने के अंदर दिया जा सकता है और यह टीका 11 वर्ष से 40 वर्ष की महिलाओं को दिया जा सकता है जिसकी मदद से कैंसर का खतरा बहुत हद तक कम हो सकता है।